Book Title: Jain Kumar Sambhava Mahakavyam
Author(s): Dharmshekharsuri, Jayshekharsuri
Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund

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Page 13
________________ १० ४ जैनकुमारसंभवकाव्य ५ शत्रुंजयद्वात्रिंशिको ६ गिरनार गिरिद्वात्रिंशिका ७ महावीरजिनद्वात्रिंशिका ८ आत्मावबोधकुलक ( प्राकृत ) ९ धर्म सर्वस्व प्रस्तावना १० उपदेशमालावचूरि' ११ पुष्पमालावचूरि १२ उपदेश चिन्तामण्यवचूरि १३ क्रियागुप्तस्तोत्र १४ छन्दशेखर १५ नवतत्त्वकुलक १६ अजितशान्तिस्तव ( प्रचलित नही, अन्य ) १७ संबोधसप्ततिको १ नं. ५०६-७ आ त्रणे ग्रन्थो कुमारपालचरित्र ( हिन्दी ) साथे जैन आत्मानन्द सभा, भावनगर तरफथी प्रकाशित थया छे. २ नं. १० थी १३ ना ग्रन्थो जैनग्रन्थावलिमां जणाव्या छे. ३ जैनग्रन्थावलिमां नं. १४-१५-१६ ना कर्ता पण जयशेखरसूरि जणाव्या छे. तेम छतां तेओ आज आचार्य छे के अन्य तेनो खुलासो जोवामां आवतो नथी. जयशेखरसूरि नामना आचार्यो नागपुरीयतपागच्छ कृष्णर्षियगच्छ आदिमां थया छे. ४ आ ग्रन्थना उपर खरतरगच्छीय क्षेमशाखाना क्षेमराज - जयसोमना शिष्य गुणविनये वृत्ति सं. १६५१ म रची छे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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