Book Title: Jain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi Author(s): Mulchandra Jain Publisher: Jain Sahitya Sammelan Damoha View full book textPage 5
________________ प्रस्तावना। संसार में किसी प्रकार की प्रगति उत्पन्न करने के लिए साहित्य प्रमुख कारण होता है और किसी भी युग का निर्माण करने में साहित्य का अव्यक्त रूप से प्रधान हाथ रहता है। संसार, में जव जव जैसा युग परिवर्तन हुआ है उसकी मूल में वैसी प्रगति का साहित्य अवश्य रहा है। साहित्य वह उच्चतम कला है जो संसार की समस्त कलाओं में शिरोमणि स्थान रखती है। जीवन को किसी भी रूप में ढालने के लिए साहित्य एक महान सांचे का कार्य करता है। साहित्य के हथौड़े से ही जीवन सुडौल बनता है और साहित्य के द्वारा ही आत्मा की आवाज संसार के प्रत्येक कोने में पहुँचती है। जैन साहित्य ने प्रत्येक युग में अपने पवित्र और विशाल अंगों द्वारा संसार को भारतीय गौरव के दर्शन कराये हैं। प्राणी मात्र को सुख शान्ति और कर्तव्य के पथ पर आकपित किया है और असंख्य प्राणियों को कल्याण पथ का पथिक बनाया है। समयानुकूल साहित्य के निर्माण में जैन विद्वानों ने अपनी गौरवशालिनी प्रतिभा और विद्वता का पूर्ण परिचय दिया है। ___ संस्कृत साहित्य के निर्माण में तो जैनाचार्यों ने वैराग्य शान्ति, और तत्व निर्णय पर जो कुछ भी लिखा है वह अद्वितीय है किन्तु हिन्दी साहित्य के निर्माण में भी जैन विद्वानPage Navigation
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