Book Title: Jain Karm Siddhanta aur Manovigyan ki Bhasha
Author(s): Ratnalal Jain
Publisher: Ratnalal Jain

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Page 121
________________ 58 है ।१ वशानिकों के अनुसार भी बच्चे और माता के बीच खून का संचार नाभिनाल बारा ही होता है, लेकिन यह नाल प्रथम मास के अन्त में बनती है। इसी नाल के सहारे भृण गर्भाशय की दीवार से लटका रहता है तथा इसी से माता और गम के हृदयों का सम्बन्ध स्थापित होता है । आधुनिक शरीरशास्त्रियों ने गर्भनाल के निम्न कार्य तार हैं: १- माता का रक तथा आक्सीजन पृण तक पहुंचाता है, तथा पोषण का काम करता है। २- भृण के शरीर में उत्पन्न हुई कार्बनडाइआक्साइड तथा चयापचय से उत्पन्न त्याज्य पदार्थ माता के रक्त में वापस लौटता है ज्यात उत्सर्जन का कार्य करता है। ३- बरोधक का काम करता है, माता के रक्त का विष भृण के शरीर में नहीं जाने देता । ४- गर्मनाल में एक अंत:सावी रस या हारमोन बनता है, जो धूण की वृद्धि करता है । मावान् महावीर से पूछा गया कि क्या गर्भस्थ शिशु उच्चार प्रस्रवण अर्थात् नी हार करता है? महावीर ने उत्तर दिया-- गर्मशत जी व उच्चार प्रसवण श्लेष्म आदि का त्याग नहीं करता, क्योंकि वह जो भी आहार ग्रहण करता है वह उसके शरीर, इंद्रिय, अस्थि, वस्थिमज्जा, रोम, नस आदि के +प में परिणत हो जाता है ।५ . १- पावती वाराधना, १०१६ २- mind Alive, P. 39. ३- गम-विज्ञान, पृ० १६५-१६६ ४- हिन्दी विश्व कोश, ३६८ ५- मा वती, ११३४७

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