Book Title: Jain Hiteshi
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ केशर। काश्मीरकी केशर जगत्प्रसिद्ध है। नई फसलकी उम्दा केशर शीघ्र मंगाये । दर १) तोला । ' मनकी मालायें। भूतकी माला जाप देनेके लिए सबसे अच्छी समझी जाती है। जिन भाइयोंको सूतकी मालाओंकी जरूरत होवे हमसे मंगावें। हर . वक्त तैयार रहती है । दर एक रुपयेमें दश माला । मिलनेका पता जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालय, हीराबाग पो० गिरगाव, बम्बई । फूलोंका गुच्छा। सम्पादक-नाहितीसम्पादक नाथूराम प्रेमी। मंध्या १३० मा चहियों । मूल्य 15) हम गुच्छेमें उपला, वीरपरीक्षा, कुणाल, विनित्रस्वयवर, मधुमग, शिष्यपरीक्षा, अपगमिना, जयगाला, कन्का , जयगती और प्रणशोध ये ११ पुष है। प्रत्येक पु-पकी मुगन्धि, सौन्दर्य और माधुयसे आप गुम हो जायेंगे। हिन्लीमें गण्ड-उपन्यासों या गलोरा यह सोत्तम मंमा प्रकाशित हुआ है। प्रत्येक कहानी Farm गन्दर और मनोरंजनानीही शिक्षाप्रद भी है। इन हानियागार पल्क सानिमा पाले जनहितमांग भी प्रकाशित हो. सामीप्रनि भरनगाइए। मननर, हिन्दी ग्रन्धरत्नाकर कार्यालय, हवाम मो. गिरगार-वान।

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 373