Book Title: Jain Gyan Gajal Guccha
Author(s): Khubchandji Maharaj
Publisher: Fulchand Dhanraj Picholiya

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Page 2
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भूमिका. प्रिय सज्जनगण ! आजकल नूतन युवकों का दिल, विषयो त्पादक गजलें गानेका विशेष रहता है. जिससे वे कुविषय युक्त गजलें गायाकरते हैं. इससे भविष्य में संतति पर बुरा असर पडता है. अतएव भारत संतानों पर बुरा असर न पडे इस उद्देश्य को लेकर प्रातः स्मरणीय उम्र विहारी शुद्धाचारी पूज्यपाद श्री श्री १००८ श्री हुक्मीचन्दजी महाराज के पञ्चम पा विद्यमान शास्त्र विशारद श्रीमज्जैनाचार्य पूज्यवर श्री श्री १००८ श्री मुन्नालालजी महाराजकी सम्प्रदाय के वादीमान मर्दन पंडितवर्य मुनि श्री नन्दलालजी महाराज के सुशिष्य धैर्यवान शास्त्रज्ञ मुनिश्री खूबचन्दजी महाराज ने ज्ञानान्वित सरल शब्द सन्दर्मित सुगजलोंकी रचना की। उन गजलों को उक्त मुनि श्री के शिष्य श्रीमान् "सुखलालजी महाराज के पास से शुद्ध उतारकर यह जैन ज्ञान गजल गुच्छा प्रथम भाग नामक पुस्तक प्रकाशित कर आप सज्जनों के कर कमलों में समर्पण कर आशा करते हैं कि आप इसे पढकर आत्मिक लाभ उठावेंगे. अस्तु । भवदीय संग्रहकर्ता - कुं० नाथूलाल पिछोलिया. मु० सिंगोली For Private and Personal Use Only

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