Book Title: Jain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Author(s): Priyadivyanjanashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 534
________________ 496 / साध्वी श्री प्रियदिव्यांजना श्री नाम तीर्थोद्गालक दर्शनपाहुड द्वादशानुप्रेक्षा पंचाशक-प्रकरणम् धर्मामृत (सागर) धर्मामृत (अनगार) धर्मसंग्रह नन्दिसूत्र निशीथचूर्णि प्रकीर्णक साहित्य, मनन डाँ. सुरेश और मीमांसा सिसोदिया इयत्ताई ( भाग मुनि पुण्यविजय १,२) पद्मनन्दि- पंचविंशति प्रवचन - सारोद्धार भाग- १, २ पुरुषार्थसिद्धयुपाय पंचास्तिकाय संग्रह लेखक का नाम Jain Education International पुण्यविजयजी कुन्दकुन्द पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री मुनि हस्तीमलजी द्वारा सम्पादित जिनदासगणी डाँ. दीनानाथ शर्मा ( अनुवादक), सं. प्रो. सागरमल जैन श्री बालचन्द्रजी सिद्धान्तशास्त्री अनुवादिका साध्वी प्रभाश्री अमृतचन्द्र श्रीलाल जैन समिति देखिए अष्टपाहुड भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, दिल्ली जैन आगम ग्रंथमाला सन्मति ज्ञानपीठ आगरा संस्थान, पद्मिनी मार्ग उदयपुर महावीर जैन विद्यालय, मुम्बई पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी आई. टी. आई. रोड़, करौंदी, वाराणसी जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर देवेन्द्रराज मेहता, प्राकृत भारती अकादमी, मालवीय नगर, जयपुर सेन्ट्रल जैन पब्लिक हाउस, लखनऊ आ. श्री For Private & Personal Use Only सं. १६७८ १६७७ १६५७ १६६५ १६८७ १६६७ वी.सं. २५०६ १६६६ २००० १९३३ १६६८ www.jainelibrary.org

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