Book Title: Jain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Author(s): Priyadivyanjanashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 533
________________ जैन धर्म में आराधना का स्वरूप / 495 नाम जैन साहित्य का बृहद् इतिहास सं. १९६८ १६६१ लेखक का नाम डाँ. मोहरलाल मेहता प्रो. हीरालाल आर.काप डिया श्री देवेन्द्रमुनि शास्त्री समिति पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोघ संस्थान आई. टी.आई रोड़, करौंदी, वाराणसी-५ श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर १६७७ जैन आगम साहित्य, मनन और मीमांसा १६८२ १६६७ २००० जैन, बौद्ध तथा गीता डॉ. सागरमल जैन राजस्थान प्राकृत के आचार-दर्शनों का भारती संस्थान, तुलनात्मक अध्ययन, जयपुर (राज.) जैन-धर्म और डॉ. सागरमल जैन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, तान्त्रिक-साधना आई.टी.आई. रोड़, करौंदी, वाराणसी जैन तत्त्वविद्या णसागर भारतीय ज्ञानपीठ १६-इन्टीट्यूशनल एरिया लोदी रोड़, नई दिल्ली तत्त्वार्थसूत्र पं. सुखलाल संघवी पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, वाराणसी तत्त्वार्थवार्त्तिक (भाग-२) डॉ. महेन्द्रसागर भारतीय ज्ञानपीठ, जैन न्यायचार्य तत्त्वार्थसूत्र उमास्वाति सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा शोलापुर तत्त्वार्थसूत्र सर्वार्थ- पूज्यपाद शोलापुर सिद्धि टीका तत्त्वार्थसूत्र राजवार्तिक- टकलंक कलकत्ता टीका १६७६ १६५७ काशी १८३६ १६२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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