Book Title: Jain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Author(s): Priyadivyanjanashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 536
________________ 498 / साध्वी श्री प्रियदिव्यांजनाश्री नाम लेखक का नाम सं. . योगशास्त्र आ. केशर सूरीश्वरजी म. १६७७ योगसार श्रीमद् योगीन्दुदेव १६६० १६७२ रत्नकरण्डकश्रावकाचार पं. पन्नालाल "बसन्त" राजवार्तिक अकंलकदेव समिति मुम्बई श्री मुनिचन्द्र श्रमण आराधना ट्रस्ट गिरिविहार तलेटी रोड़, पालीताणा श्रीमद् रायचन्द्र आश्रम, आगास (गुजरात) वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट प्रकाशन, दिल्ली भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.) श्री वीतराग सत् साहित्य प्रसारक ट्रस्ट, भावनगर (गुज.) भारतीय ज्ञानपीठ, सं. मधुकर मुनि १९८६ व्याख्याप्रज्ञप्ति (भाग ३,४) बृहद्र्व्य संग्रह श्रीमद् नेमिचन्द्र सिद्धान्त देव वी.सं. २५०३ वसुनन्दिश्रावकाचार सं. हीरालाल जैन १६५२ काशी. विशेषावश्यकभाष्य बनारस २४४१ श्री जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण टीका हेमचन्द, हर्षचन्द्र, भूराभाई श्रीभद्रबाहु स्वामी केशवलाल प्रेमचन्द्र सं. श्री मधुकर व्यवहारभाष्य अहमदाबाद समवायांगसूत्र श्री आगम प्रकाशन १९८२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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