Book Title: Jain Darshan ane Sankhya Yogma Gyan Darshan Vicharna
Author(s): Nagin J Shah
Publisher: Sanskrit Sanskriti Granthmala

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Page 211
________________ સંદર્ભગ્રંથસૂચિ (१) संस्कृत-प्राकृत-पालि भूण ग्रंथो अकलङ्कग्रन्थत्रय, अकलकदेव, सं0 महेन्द्रकुमार शास्त्री, सिंघी जैन सिरिझ, अहमदाबाद, 1939 अध्यात्मसार, यशोविजय, सं. मुनि नेमिचन्द्रजी, निर्ग्रन्थ साहित्य प्रकाशन संघ, . दिल्ली, 1976 अनुयोगद्वारसूत्र (अणुओगद्दारसुत्त), जुओ नंदिसुत्तं अणुओगद्दाराइं च अभिधर्मकोश (स्वोपज्ञभाष्य तथा यशोभित्रकृत स्फुटार्थाव्याख्या सहित), वसुबन्धु, सं0 द्वारिकादास शास्त्री, बौद्धभारती ग्रन्थमाला, ग्रन्थांक 7,9, बौद्धभारती, वाराणसी, 1981 अभिधर्मकोशभाष्य, जुओ अभिधर्मकोश अभिधर्मकोशस्फुटार्था, जुओ अभिधर्मकोश अभिधर्मदीप (विभाषाप्रभावृत्ति सहित), सं० पद्मनाथ जैन, काशीप्रसाद ., जायस्वाल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पटना, 1959 . अभिधर्मसमुच्चय, असंग, सं० प्रह्लाद प्रधान, विश्वभारती, शान्तिनिकेतन,1950 अभिधर्मामृत, घोषक, सं० शान्ति भिक्षु शास्त्री, शान्तिनिकेतन, 1953. अंगुत्तरनिकाय, सं0 आर. मोरिस तथा इ. हार्डी, 'भाग 1-5, पालि टैक्स्ट सोसायटी, लंदन, 1885-1900 आचारांगसूत्र (आयारंगसुत्त) (1) आयारंगसुत्तं, सं. मुनि जम्बूविजय, जैन-आगम-ग्रन्थमाला, ___ग्रन्थांक 2 (1) महावीर जैन विद्यालय, बम्बई 36, 1977 (2) आयारो (हिन्दी अनुवाद तथा टिप्पण सह) सं0 मुनि . नथमल, जैन विश्व भारती, लाडनूं, 1974 (3) आचारांगसूत्र भाग 1-2 (हिन्दी अनु० टिप्पण सह), सं0 __ मधुकर मुनि, श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर, 1980 आचारांगचूर्णि (आयारंगचूण्णि), जिनदासगणि, ऋषभदेव केसरीमलजी, रतलाम, 1941. . . आवश्यक नियुक्ति, भा0 1-3, (माणिक्यशेखरकृत दीपिका सह) आचार्य श्रीमद्विजयदानसूरीश्वरजी जैन ग्रन्थमाला, सूरत, 1939, 1941, 1949 उत्तराध्ययनसूत्र (उत्तरज्झयणसुत्त) जुओ दसवेयालियसुत्तं उत्तरज्झयणाई आवस्सयसुत्तं च. उपनिषत्सङ्ग्रहः सं०पं0 जगदीश शास्त्री, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली, 1980.

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