Book Title: Hum Choradiya Khartar Nahi Hai
Author(s): Kesarichand Choradia
Publisher: Kesarichand Choradia

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Page 5
________________ ( ५ ) ड़िया गोत्रे उएशगच्छे सा० सोमा भा० धनाई पु० साधू मुहागदे सुत ईसा सहितेन स्व श्रेय से श्री सुमतिनाथ बिम्बं कारितं प्रतिष्ठितं श्री कक्कसूरिभिः सोणिरा वास्तव्य" लेखाङ्क ५५८ भगवान महावीर के पश्चात ३७३ अर्थात् विक्रम संवत् ९७ वर्ष पूर्व उपकेशपुर नगर में वृहदस्नात्र पूजा हुई उस समय स्नात्रीय बने थे निम्न लिखित गौत्र वाले थे: "तप्तभटो बाप्पनाग, स्ततः कर्णाट गौत्रजः॥ २ ३ ४ तुर्य बलाभ्यो नामाऽपि, श्री श्रीमाल पञ्चम स्तथा ॥ १६९॥ कुलभद्रो मोरिषश्च, विरिहिया ह्वयोऽष्टमः। श्रेष्टि गोत्राण्य मून्यासन, पक्षे दक्षिण संज्ञके ॥१७॥ सुंचिंति ताऽऽदित्य नागौ, भूरि भाद्रोऽथचिंचटि ॥ कुमट कन्याकुब्जोऽथ, डिडु भाख्येष्टमोऽपिच ॥१७॥ तथाऽन्यः श्रेष्टि गौत्रीय, महावीरस्य वामतः" “ उपकेशगच्छ चरित्र" अर्थात् तातेड़ बाफना करणावट बलाह श्री श्रीमाल कुलभद्र मोरख वीरहट और श्रेष्टि इन नौ गोत्र वाले स्नात्रीय महावीर की मूर्ति के दक्षिण यानी जीमणे तरफ पूजापा ले कर खड़े थे। संचेति-अदित्यनाग भूरि भाद्र चिंचठ कुभट कन्याकुब्ज डिड और लघुष्टि इन नौ गोत्र वाले डावी ओर पूजापा लिये खड़े थे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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