Book Title: Hum Choradiya Khartar Nahi Hai
Author(s): Kesarichand Choradia
Publisher: Kesarichand Choradia

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Page 4
________________ ( ४ ) " सं० १४८० वर्षे ज्येष्ठ वदि ५ उपकेश ज्ञातीय इच्चणाग गोत्रे सा० आसा भा० वाष्टि पु० सा जुनाहू भा० रूपी पु० खेया ताल्हा साबड़ श्री नेमिनाथ बिंबं का० पूर्वत लि० पु० आत्मार्थ श्रे० उपकेश कुक० प्र० श्री सिद्ध सूरिभिः । " लेखांक ७७ "इस शिलालेख में जिस गोत्र का नाम भाइकचणागें' लिखा है उसी " भइच्चाणाग" का रूपान्तर आदिव्यनाग नाम लिखा हुआ 'मिलता है देखिये : -- “सं० १५२४ वर्ष मार्गशीर्ष सुद १० शुक्रे उपकेश ज्ञातौ आदित्यनाग गोत्र स० गुणधर पुत्र० स० डाला० भा० कपूरी पुत्र स० क्षेमपाल भा० जिण देवाइ पु० स० सोहिलेन भ्रातृ पास दत्त देवदत्त भार्या नानू युतेन पित्रोः पुण्यार्थ श्री चन्द्रप्रभ चतुर्वि - शति पट्टकारितः प्रतिष्ठतः श्री उपकेश गच्छे ककुदाचार्य संताने श्री कक्कसूरिभिः श्री भट्टनगरे ।” , बाबू पूर्ण सं० शि० प्र० पृ० १३ लेखांक ५० ऊपर जो आदित्यनाग गोत्र लिखा है उसी आदित्यनाग गोत्र की शाखा चोरड़िया है। लीजिये : " सं० १५६२ व० वै० सु० १० रवौ उकेश ज्ञातौ श्री आदित्यनाग गोत्रे चोरवेड़िया शाखायां व० डालण पुत्र रत्नपालेन सं० श्रीवत व० धधुमल युतेन मातृपितृ श्रे० श्री संभवनाथ बिं० का० प्र० उकेशगच्छे ककुदाचार्य श्री देवगुप्तसूरिभिः” - बाबू० पूर्ण० सं० शि० प्र० पृष्ट ११७ लेखांक ४९७ आगे यह चोरड़िया जाति किस गच्छोपासक है: -- " सं० १५१९ वर्षे ज्येष्ठ वदि ११ शुक्रे उपकेशज्ञातीय चोर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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