Book Title: Hitopdeshmala evam Darshanshuddhi Prakaranam
Author(s): Prabhanandsuri, Chandraprabhsuri, Kirtiyashvijay
Publisher: Naginbhai Paushadhshala
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इक्at fa अभिनिवेसो ३९५ इ' गाली - वसाडी इच्चा किंपि असरिसम ३७५
४३०
२९
इतुच्चि पुग्वभवे इत्थ य सुयनाणं चिय
९९
१०५
३५८
६७
४०८
४४३
इय दंसणमूलाइ इय अभयदेवमुणिवर इय जइ अणुवकया वि हु २६७
५२१
१२७
इय समणाणं दाणं इय लोउत्तरविणओ
२२२
इय भायगयं उचिय
૨૮૨
१६९
इय सत्तसु खित्तेसुं इयरो वि नरो न सहइ ३२९
४८६
ई समिइ - गुत्तिवज्जं इरिया - भासा - एसण इरियासमियाण भवे
૬૪
४६६
इत्थ य सुत्तत्थाण
इन्हिपि तरंति तहा इय भणियमभयदाणं इ एसो भे ! कहिओ
उ
उग्गम - उपायण - दुविह उच्चालियंमि चरणे
[ १८० ]
४७६
४६८
उचियं एयं तु सहोयरंभि २७७ उचियाचरणेण नरो उच्छिदिऊण गिहवास उजुfare भेओ सो उड़ढाहो - तिरियदिसिं उत्तम - अहमवियारे उत्तमपुरिसपणीप
३१९
४६२
९४
४२४
૮૨
१९७
उद्दीषय सयलगुणं उद्धरणं पुण जिन्नाण उब्भडदंभोलिबलावलेव उम्मीलिय केवलनाण
उयह खमाबलमतुलं यह हयमोहमहिम जं
उवयारपरी वि नरो उवजीविऊण जिणमय'
एए धमरहस्
एहिं अणुग्गहिओ ए ए पंच मुणीणं एएसि तित्थियाणं
एगस्स भूमिवरणो एगे संप्पत रंगिएहिं
एमाई सयणोचियमह एयं दुविहं पि तिकाल एयं पि ताव कदठं
एयं पंचविगप्प
४२:
१६२
३६
१४१
५१६.
उवसंतकसायाणं उवयारो पुण दुविहो २४० उवयारखणे समुट्ठिय मि २३८
वारिणं निगूes
३८९
उस्सुत्तभास गाणं.
૩૦
ए
एयं पुण कटुयरं
एय च वयसरीरं
एयं परुप्परं नायराण
mart परिहरंतो
एयाइ धम्मतरुमूल
या निरइयाराण
एवं विहाण पाणीण
४९६
४०७
.२६९
५२२
४५९.
४६०
४५८
३१३
३२१
२०३
२९७
८५
५७
९८
५८
૬૭
३१०
३४८
३५५
४४४
७०
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