Book Title: Hitopdeshmala evam Darshanshuddhi Prakaranam
Author(s): Prabhanandsuri, Chandraprabhsuri, Kirtiyashvijay
Publisher: Naginbhai Paushadhshala
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मुणिऊण परमकरुणाइ मुत्तूण मुक्ख मग्ग
"मूल संसारस्स उ
मेहून्न पि हु दुविह
रक्खति य मरणभय
र
रविकरता व पक्खीण
रसगाखम्मि गिद्धा
रह-तित्थ- जत्थ
रहजत्त - तित्थजत्ता रिद्धाओ विउलाओ
भइ स्यणिपयार'
रूव च वण सरूव रोगाइ नोखिइ
ल
लोउत्तरविणओ पुण
लोउ जणुत्ति वुच्चइ ataraanaभीरु लोयायारविरुद्ध
८४
३९९
२२४
४१९
४५
२६५
४७९
३३३
लघु पहु-बहुमाण लब्भइ न सहस्सेसु वि ३८१ लोइय- लोयउत्तरभेयओ २१४
२१८
वज्जइ इह आणयण वज्जे तं पि कुसलो वरमन्नाणी विमुणी वहं-बध- छविच्छेय
१३६
४४९
७४
२८४
२६०
२८७
३३८
३७७.
३४०
व
वच ति साभिगुरुजण य ५११
वज्जइ इच्छाइक्कम
४२५
वज्जइ इत्तिरि अप्परि ४२१
४३७
३३९
४७२
४१४
[]
वागरण-छ द-लंकार १५० वावाराण गरुओ
२०६
૯૮૭
विगहा - परिहारेण' विच्छिन्नो वि हु तिन्नो १९ विणरण पुच्छणिज्जो २२९ वियाइगुणगाण
१७
विणवण
३६१
५०६
वित्ताइ निमित्तेण वियलयकुलाभिमाणो २०९
विरइ उवट्टभ
१०७
४०९
९५
२३९
विरई इह पन्नत्ता विसो इमस्स सुच्चिय विवाईहिं परेसिं विहिणा तं निम्माण विरंभि हुति सरण १७८ वीरासणाइएहिं अगण ता ४८५ वेरुलिय-फलिहद्धविदुम १६७
१६४
स
'काइदो रहिए 'काक'विग छा
सतमि भत्तिराए
ससु संपराए सवि निवइ - दोसे सते व चित्तवित्ते सभमचरिचउठिवह
सौंसारचारयगय
सइसामत्थे सम्मं सइ सामग्गिविसेसे
सच्च पहीणरागा सच्च होइ विमहो सच्चित्त पंडिबद्ध
२२
२३
२७
५१७
३३०
७१
२५४
२५८
४४८
२४७
१८३
१५६
४२८
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