Book Title: Hindi Gujarati Kosh Author(s): Maganbhai Prabhudas Desai Publisher: Gujarat Vidyapith View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir त्रीजी आवृत्तिनुं निवेदन दस वरसे आ बीजी सुधारेली वधारेली नवी आवृत्ति बहार पडे छे, तेथी संतोष थाय छे. आम जोतां, बीजी आवृत्ति लगभग पांच-छ वरसमां खपी गई हती. एटले नवी आवृत्ति आथी वहेली बहार पडवी जोईती हती. तेम न थई शकवाथी हिंदीना अभ्यासीओने सोसवू पडडुं छे, ते माटे क्षमा चाहुं छु. आ दस वरसमां आपणी दुनिया बहु फरी गई छे; आपणे स्वतंत्र थया अने आपणा देशने माटे कई भाषा राजभाषा बने ते आपणी राष्ट्रीय बंधारण सभाए नक्की. कयु. ए भाषानुं स्वरूप केवं हशे तेनी चोकस व्याख्या आपवामां आवी; अने तेनी लिपि एक नागरी हशे अने आंकडा तेमना अंग्रेजी रूपमा रहेशे, एम ठराव्यं. ए भाषा हिंदनी बधी भाषाओ वच्चे कडीरूप आंतरभाषा हशे. अने ते तरीके तेने, आवतां १५ वरसमां, आपणा राष्ट्रीय राजवहीवटमा दाखल करवी, एम पण आंकवामां आव्यु. आ निर्णय आपणी राष्ट्रीय आगेकूचनी एक भारे मजल कापनारो छे. तेनी असर भारे दूरगामी हशे, ए उघाडु छे. एनी रूए, बेलिपिनो प्रश्न ऊकली गयो गणाय. तेथी उर्दू लिपिमां पण शब्दो लखीने गई आवृत्ति बहार पाडेली, ते आ आवृत्तिमा चालु राखवानी जरूर न रही. ए आवृत्तिना प्रारंभे गांधीजीए लखेला ‘ने बोल' आ प्रस्तावनामां संघर्या छे. तेमां आ कोषना उपयोग अने तेने वधारे सारो बनाववामां मदद करवा विषे जे उल्लेख छे ते भणी वाचकोनुं ध्यान खेंचु छु. ___ गई आवत्तिओमां जणावेल के, गजराती अने हिंदीमां समान शब्दो संघर्या नथी; एवा शब्दोनी संख्या पंदर हजार करतांय वधारे हो. तेमां सुधारो करीने एवा शब्दो आ नवी आवृत्तिमां उमेरी लेवामां आव्या छे. ते उपरांत पण वधु हिंदी शब्दो लीधा छे. तेने सारु केटलुक साहित्य पण जोईने शब्दो वीणीने संघर्या छे. आ काममा विद्यापीठना विद्यार्थीओए ठीक ठीक मदद करी छे. ते जे साहित्य भणता, तेमाथी तेमणे शब्दो काढी आप्या हता. आम करतां For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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