Book Title: Hindi Gujarati Kosh
Author(s): Maganbhai Prabhudas Desai
Publisher: Gujarat Vidyapith

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० उपरनी मर्यादामां रहीने काम करता, लक्षावधि जेवडा हिंदी शब्दसागरमाथी १५३२० शन्दो आ कोशमां समाया छे. ते उपरांत, बेउ भाषामा तत्सम एवा संस्कृत तथा अन्य शन्दो जे आ कोशमा छोडी दीधा छे, ते उमेरो तो एटला ज बीजा थाय, एमां शंका नथी. एटले के, कुछ ३० हजार उपर शन्दो जेटलुं काम आ कोशथी सरशे एम गणाय. कोशमां नोंघेला शन्दो साथे व्याकरण भने केटलीक व्युत्पत्ति आपवामां आवी छे. तथा शब्दोनी साथे तेमना रूढ शब्दप्रयोगो पण नोंध्या छे. तेमां पण जे रूढिप्रयोगो गुजरातीमां पण ते ज रूपे चाले छे-- अने तेवा घणा छे-तेमने नथी आप्या, केम के गुजराती वाचकने ते परिचित ज छे. ता. ३०-४-३९ म० प्र० देसाई ई. स. १९३९ ना मे मासमा 'राष्ट्रभाषानो गुजराती कोश' नामथी प्रसिद्ध करेला हिंदुस्तानी-गुजराती शब्दकोशनी नवे नामे ने सुधारेलीवधारेली भा नीजी आवृत्ति छे. पहेली आवृत्ति लगभग त्रणेक वर्षमा ज पूरी यई गई हती. पण वच्चे १९४२-४नो गाळो आववाथी तेनी नवी आवृत्ति आटली मोडी बहार पाडवी पडी छे. ____ आ वर्षोमां राष्ट्रना जीवननां अनेक क्षेत्रो जेम राष्ट्रभाषा-प्रचार विषे पण भारे फेरफार थयो छे. देशनुं आ काम एक पगलं आगळ वध्युं छे. ई. स. १९४२ सुधी आ रचनाकार्य हिंदी साहित्य संमेलननी वर्षा समिति मारफत चालतुं हतुं. ते सालमां छेवटे ए संस्थाए स्पष्ट फर्यु क, ते तो नागरी लिपि अने हिंदी शैलीनो ज अनुक्रमे राष्ट्रलिपि अने राष्ट्रभाषा तरीके प्रचार करशे; आ तेनी मर्यादा छे. तेणे राष्ट्रभाषानुं राष्ट्र-मान्य 'हिंदुस्तानी' नाम पण अपनाववा तैयारी न बतावी. बेउ लिपि द्वारा लखाती उत्तर हिंदनी जे आम लोकभाषा ते राष्ट्रभाषा छे, एवी व्याख्यामां आम तेणे फेरफार कर्यो. आथी पूर्ण राष्ट्रभाषानु ए काम करवा माटे राष्ट्रना आ रचनाकार्यना नेताओए 'हिंदुस्तानी प्रचार सभा'नी स्थापना करी, भने तेनुं काम आपणे त्यां शरू थयु. आ स्थितिमां कोषे पोतार्नु शब्दभंडोळ वधारवा उपरांत बेउ लिपिनो पण समावेश करवो जोईए. तो उपरना कार्यमां कोशे पोतानो फाळो आप्यो एम कहेवाय. आ दुष्टिए मा नवी भावृत्तिमा शब्दने बेउ लिपिमा आप्या छे. एटले के, नागरी जोडे उर्दू लिपिमां पण ते छाया छे. आ करी शकायं तेथी संतोष थाय छे. __ शब्दभंडोळ वधीने कुल १६००० थयुं छे. शन्दो उमेर्या छे ते चालु वंचातुं केटलुक हिंदुस्तानी साहित्य जोईने. केटलाक मित्रोए पण लेवा जेवा शब्दोनी नानी मोटी यादी मोकली छे. ए बधानां नाम गणाव्या वगर ते सौनो आभार मानुं छु. शब्दो संघरवा अंगे आंकेली मर्यादा, मा आवृत्तिमाय चालु रहे छे. एक एवी सलाह हती के, गुजराती तथा हिंदुस्तानी बेउना एकसरखा शब्दो, के जे आ कोशमां नथी संघर्या, तेय लेवा. आ शन्दो लगभग १५००० थाय छे. शन्दोनी यादी भाषाशास्त्रनी दृष्टिए करवा जेवी खरी. पण भा कोशमां ते उमेरवाथी कद व ने किंमत वधे, जे तेना प्रचारमा बाधा भाणे. ए ज वहेवारु ख्यालयमा For Private and Personal Use Only

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