Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala

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Page 303
________________ ૨૮૪ હૈમ સંસ્કૃત ધાતુ રૂપાવલી : ભાગ-૧ ધાતુસાધિત શબ્દ धातु फल् | लङ्घन हस अर्जन अर्ज अर्ह आ+शंस् आशंस अ (अल् अन | अ | अक | तु । ति अच्) (अनट् )| (घा) (णक) (तृच्) (क्ति) फल । फलन फल फलक | फलित | फलिति लङ्घ लङ्घ लङ्घक | लवित | लविति लोक लोकन लोक लोकक | लोकित | लोकिति सदन साद सादक | सत्तृ । सत्ति हसन हास हासक हसित . हसिति अय अयन आय आयक अयितृ | अयिति अर्ज अर्जक | अर्जित | अर्जिति अर्ह अर्हण अर्ह अर्हक | अर्हित | अर्हिति आशंसन आशंस आशंसक आशंसितृ आशंसिति अय अयन आय आयक | अयितृ । ईति ईहन ईहक | ईहित | ईहिति | कर्षण कर्ष कर्षक | कष्ट/क्रष्ट | कृष्टि क्वथ क्वथन क्वाथ क्वाथक | क्वथितृ | क्वथिति गम गम गमक | गन्तृ । गति जृम्भ जृम्भन जृम्भ जृम्भक | जृम्भित | जृम्भिति ज्वलन ज्वाल ज्वालक | ज्वलित | ज्वलिति त्राण त्राय त्रायक त्रातृ | त्राति त्वरण त्वार त्वारक | त्वरिति धान धाय धायक धातृ | धिति भ्रमण भ्रामक | भ्रमितृ । भ्रान्ति भ्राज भ्राज़न भ्राजक भ्राजित | भ्राजिति भ्रास भ्रासन भ्रासक | भ्रासित | भ्रासिति भ्लास भ्लासन भ्लास भ्लासक | भ्लासितृ | भ्लासिति म्ला म्लान म्लाय | म्लायक | म्लातृ | म्लाति कर्ष 愛獲震奪獎 HEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEE गमन त्वरित भ्राम भ्राज भ्रास भ्रास् भ्लास्

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