Book Title: Haim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 01
Author(s): Dineshchandra Kantilal Mehta
Publisher: Ramsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
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ચોથા ગણના કર્તરિ રૂપ
પહેલા ગણના થલબત્ત नम् - नंनम् स्मृ - सरिस्म, | वह् - वाव पठ् - पापठ्
सरीस्मृ, सर्मू काश् - चाकाश् पत् - पनीपत् |क्षि -. चेक्षि रुह् - रोरुह् रक्ष - रारक्ष गम् - जङ्गम् मुद् - मोमुद् भण् - बम्भण् दृश् - दरिदृश्. कम्प् - चाकम्प् वद् - वावद्
दरीदृश, दर्दृश् गर्छ - जाग' वस् - वावस् स्था - तास्था वप् - वावप् दह - दन्द दा - दादा - देद्युत् खाद् - चाखाद् पा - पापा
- रोरुच् चल् - चाचल् . वन्द् - वावन्द् श्रि - शेश्रि चर् - चञ्चुर् वृध् - वरीवृध् यत् - यायत् जीव् - जेजी
वरिवृध, ववृध् कस् - चनिकस् त्यज् - तात्यज् |पच् - पापच् भज् - बाभज् क्षर् - चाक्षर्
जरीह, जरिह, क्रीड् - चेक्रीड्
जर्ह द्रु - दोगु जप् - जञ्जप् डी - डेडी रट - रारट् जिम् - जेजिम् भाष् - बाभाष्
तप् - तातप् . निन्द् - नेनिन्द् रम् - रंरम् शिक्ष् - शेशिक्ष वृष् - वरिवृष्/
लभ् - लालम्भ ध्यै - दाध्या वरीवृष्/वर्वृष् वृत् - वरीवृत्, भृ- बरीभृ, बरिभृ, शुच् - शोशुच्
वरिवृत्, वर्तुत् ब/ जि - जेजि शुभ् - शोशुभ ढे - जोहू तृ - तातर् | सेव् - सेषेव् वाञ्छ् - वावाञ्छ् धाव् - दाधाव् स्वाद् - सास्वाद् श्लाघ् - शश्लाघ् भू- बोभू नी - नेनी फल् - पम्फुल् सृ- सरिसृ, सरीसृ याच - यायाच् लङ्क - लालङ्क
सर्स राज् - राराज् लोक् - लोलोक्
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