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46- परम देव और गुरु के प्रसाद से श्री पोमराज के पुत्र श्रेष्ठवादिराज के द्वारा यह स्तोत्र बनाया गया। यह सम्यग्ज्ञानलोचन नामक स्तोत्र पढ़ने वालों को हर्ष करे, जगत के परम उपकार को करने वाला तथा सम्यग्दर्शन के दोषों का नाशक होवे।
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