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1 - सम्पूर्ण नृप समूह के समक्ष दृष्टि युद्ध, जल युद्ध और मल्ल युद्ध के द्वारा भरत चक्रवर्ती की कीर्ति को जीतने वाले, श्रेष्ठ सार्वभौम साम्राज्य भार को तृण के समान नि:सार मानकर जो मुक्ति के लिए दीक्षित हुए थे। वे चरम शरीरियों में अग्रणी बाहूबली स्वामी तुम सब की रक्षा करें।
2 - देदीप्यमान चक्र मूर्ति के द्वारा भरत की विजयलक्ष्मी जिन बाहूबली स्वामी को क्षत्रियों के सामने अभिसरण करती हुई चिरकाल तक लज्जा छोडकर निर्लज्जता का पात्र हुई थी अर्थात् छह खण्ड पृथ्वी के स्वामी भरत चक्रवर्ती को युद्ध में जिन्होंने जीत लिया था। किन्तु जिन्होंने पिता आदिनाथ स्वामी के मार्ग को प्राप्त किया था। वे बाहूबली स्वामी तुम सब की रक्षा करें। - 3 - जिन्होंने सब तरफ से अनुसरण करने वाली लक्ष्मी को छोडकर राजाओं की निकटता में और जयलक्ष्मी के संगम की आशा को सफल करते हुए अधिक तेज को धारण किया था। सम्पूर्ण जगत् रूपी घर में व्याप्त है कीर्ति जिनकी ऐसे यशस्वी और जिन्होंने यश के लिए तपस्या को स्वीकार किया था। वे आदि ब्रह्मा के पुत्र बाहुबली स्वामी जयवंत हो।
4 - जिनकी भुजाओं का बल क्षत्रियों के समक्ष मल्ल युद्ध में प्रसिद्ध हुआ था और जिनका नाम सकल चक्रवर्ती भरत के नाम के साथ लोगों के स्मृति पटल पर आ जाता था । तथा जो प्राणी समूह को पवित्र करते है वे बाहुबली स्वामी जयवंत हो।
____5 - सर्प के मुख से उगले तथा निकलती हुए विष रूपी अग्नि जिनके चरणों को प्राप्त कर अनेक बार उपशांति को प्राप्त हुई थी और जो सम्पूर्ण जगत में पूज्य है। विधाधरों की स्त्रियों के हाथ से हटाई गई फैली हुई लताओं से जो व्याप्त है। वे बाहुबली जयवंत हो।
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