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6 - भरतराज के उच्च मुकुट के अग्रभाग में जडे हुए रत्नों से व्याप्त है नख रूपी चन्द्रमा जिनका ऐसे आदि ब्रह्मा के पुत्र सर्यों के समूह से व्याप्त होने पर भी जो आकुलित नही हुए। जो धैर्य और बल से सहित थे और जो योगधारी होकर शोभित थे वे बाहुबली स्वामी जयवंत हो।
7 - काले भौरों के समूह के समान आभा वाले, भुजाओं तक लम्बे तथा धुंघराले बालों से ढका हुआ है भुजाओं का अग्रभाग जिनका और मेघो से व्याप्त पर्वत के समान जिनका मस्तक अद्भुत शोभा धारण करता था। वे बाहुबली स्वामी हम सब की रक्षा करे।
8 - जो शीतकाल में हिम से व्याप्त ऊँचे पर्वत के समान शरीर को धारण करते हुए प्रकट हुए थे और जो वर्षाऋतु में नवीन मेघों के समूह से धूले हुए की तरह जान पडते थे और ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की प्रचण्ड किरणों को सहन करते थे। वे बाहुबली स्वामी जयवंत हो।
9 - इस जगत में जितेन्द्रिय योगियों के स्वामी व श्रेष्ठ योगियों के द्वारा ज्ञात है महिमा जिनकी तथा पूज्यों के द्वारा पूज्यनीय बाहुबली स्वामी को जो शांत अंतरात्मा हृदय में अत्यधिक स्मरण करता है वह जिनेन्द्र सम्बंधी अजेय विजय लक्ष्मी को प्राप्त करता है।
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