Book Title: Gurutattva Siddhi
Author(s): Bhavyasundarvijay
Publisher: Jingun Aradhak Trust
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२२८
गुरुतत्त्वसिद्धिः
एसिपि साहुखलिअं पिक्खित्ता भण्णइ निययदुच्चरिअं । रक्खंति न थेवंपि हु परस्स पुण दिति उवएसं ॥५६॥ बालगिलाणाईणं वेआवच्चं सया वि किच्चंति । गुरुणो वि परेसिं पन्नवंति न सयं पुण करंति ॥५७।। एमाइ दूसणाई वागरमाणो किलिट्ठमणवयणो । मरिउं असुरनिकाए किब्बिसिआसुं सुरिं पत्तो ।।८।। तत्तो चविऊ इण्डिं सावयभा गओ वि एस इहं । पुवाणुवेहउच्चिअ पडुच्च मुणिणो इअ भणेइ ॥५९॥

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