Book Title: Gurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den Author(s): Hariprasad G Shastri Publisher: Jawahar Pustakalaya Mathura View full book textPage 6
________________ महाभारते [ऐपीकपर्व आयोगमा इन स्थानों के अतिरिक्त मुझे सवं श्री अगरनन नाम कासलीवाल, पं० चैनमुग दासजी, डॉ० सरनामसिंह गर्मा "arr", Ti० नागीनान सांडेसरा, श्री दनमुगमाई मालयणिया, पंडितपर श्री मुगालालमी, पंगलाम, डॉ० रामेश्वरलाल खण्डेलवार, डॉ. रणधीर उपाध्याय, श्री के दी kc श्रीराम नागर, डॉ० कृष्णचन्द्र श्रोत्रीय, श्री नारायणगित भाटी, मुनि श्री पुजिपी. श्री भानुविजयजी, श्री कांतिनागरजी आदि विद्वानी में भी मार्गदर्शन प्राप्त पो का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। एतदर्थ में उक्त मनी से प्रति हार्दिक सताना प्राट करता हूँ। माथ ही उन सनी मात-अनात विद्वानों तथा विनाकों पे पनि सामान व्यक्त करता हूं, जिनकी गोध तथा समीक्षा गतियों में में प्रत्यक्ष या पगार में उपकृत हुआ हूँ। अन्त में यह कहना चाहूंगा कि विषय गहन है, मेरे मापन मीगित । गुरु कवियों एवं कृतियों के परिचय बनायान मिल गये, कुछ के लिए गहरे पटना पड़ा। जो तथ्य उपलब्ध हुए, उनके आधार पर साधन और ममय की मर्यादा में रहते हुए मैंने विपय का यथाशक्ति प्रामाणिक प्रतिपादन किया है। फिर नी पूर्णता का दावा नहीं है। अपनी शक्ति की सीमानों को जानता है। अनः मन्नत प्रबन्ध में अपना एवं त्रुटियां भी रह सकती हैं, पर विद्वदवर्ग मदेव गुणग्राही ही होता है। मकर संक्राति १९७६ हरीश गजानन मुक्त हिन्दी-विभाग पाटण आर्ट्स एण्ड साइन्स कॉलिज पाटण ( उ० गु०)Page Navigation
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