Book Title: Gunvarma Charitra
Author(s): 
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुण // 4 // सभास्थिते नृपेऽन्येद्युइँतो वेत्रिनिवेदितः॥ समेतः प्रोचिवानेवं, पुनर्जातः स्वयंवरः।।३७ / / गुणवर्मा नृपोऽचालीदथ प्रस्थितसेनया // संप्राप्तश्च पुरीं चंपां, तस्थिवान् राजमंडले।।३० चरीत्र. - गौरगौरवपूरेण, शूरेण बहुमानितः // सोऽत्रावासमलंचके, शक्रेण समविक्रमः // 39 // / रत्नावलीसमादिष्टा, सारसी नामतः सखी॥सायंतनक्रियाप्रांते, प्राप्ता सा तेन मानिता।।४० कृत्वकांतंच सावादीत,कन्योक्तं शृणु वाचिकम् // अपाटवस्वरूपं यत्पूर्व जज्ञे तदप्यहो॥४१॥या जाते स्वयंरारंभे, रंभेवान्येयुर तम् / / रूपं दधाना सा सायं, गवक्षस्था ह्यराजत।।४२॥ | चिल्लीव रुदती श्येनेनैव तत्र खगेन सा॥ उद्धृत्य गगने नीत्वा, वने क्यापि व्यमुच्यत // 43 // न्यस्य पादं गले तस्याः, खङ्गमुक्षिप्य भीषणम् ॥ऊचे मुंचाम्यहं कंप्रे,मदाचं यदि मन्यसे॥ - मयास्ति कारितं चैत्यं, वैतादयाचलसंनिधौ // स्थापिताच युगादीशमूर्तिस्तत्र मनोहरा॥४५१ जिनयूजामहं रात्री, तत्र कुर्व निरंतरम् / / मिलंति खेचराः सर्व वीक्षितुं किल कौतुकम्॥ - राजकन्या सलावण्यास्तिस्रो नृत्यंति तत्र च / / त्वमप्य तचातुर्या, तुर्या तासांभवान्वहम्।। अदृश्यं प्रथमे यामे, यामिन्या नित्यमेष्यति // विमानं तत्त्वयामरागंतव्यं जिनमंदिरे॥४॥ * नांगीकार्यो विवाहोऽपि, ममादेशं विना त्वया।।सा स्वीकृतेऽखिले तेन पुनर्मुक्ता स्ववेश्मनि For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 176