Book Title: Gita Darshan Part 02 Author(s): Osho Rajnish Publisher: Rebel Publishing House Puna View full book textPage 2
________________ ता कई अर्थों में असाधारण है। कुरान एक निष्ठा का शास्त्र है; दूसरी निष्ठा की बात नहीं है। बाइबिल एक निष्ठा का शास्त्र है; दूसरी निष्ठा की बात नहीं है। महावीर के वचन एक निष्ठा के वचन हैं; दूसरी निष्ठा की बात नहीं है। | बुद्ध वचन एक निष्ठा के वचन हैं; दूसरी निष्ठा की बात नहीं है। गीता असाधारण है। मनुष्य के अनुभव में जितनी निष्ठाएं हैं, उन सारी निष्ठाओं का निचोड़ है। ऐसी कोई निष्ठा नहीं है जो मनुष्य जाति में प्रकट हुई हो, जिसके सूत्र, बीज-सूत्र गीता में नहीं हैं। गी कृष्ण ने पहले सांख्य की बात कही, अगर अर्जुन राजी हो जाए, तो गीता आगे न बढ़ती । लेकिन अर्जुन समझ न पाया सांख्य की बात । इसलिए फिर दूसरी बात कृष्ण को करनी पड़ी। अर्जुन वह भी न समझ पाया; फिर तीसरी बात करनी पड़ी। अर्जुन वह भी न समझ पाया ; चौथी बात करनी पड़ी! —शेष दूसरे फ्लैप परPage Navigation
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