Book Title: Gaudi Parshwanath Tirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 8
________________ २७० ] Jain Education International श्री गौड़ी पार्श्वनाथ तीर्थ तब मेघो कहै सेठजी रे लाल, खरच्या धर्म नै सांमीजी माटै सूपीया रे लाल, पांच से दीधा काजल है तुमे स्यू कर्यु रे लाल, ए पथर कुणं 'काजल भरणी मेघो कहै रे लाल, ए व्यापार अम भाग भ० ते पांच से सर माह रे लाल, तेमां नहीं तुम लाग ॥ भ० ॥७॥सु०॥ काज | ० ||५|| सु०॥ दाम भि० काम | भ० ॥ ६ ॥ सु०॥ मेघासानी भार्या रे लाल, महीयो नै मेरो ए बे सारिखा रे लाल, बहु सुत रतिप्रति काम सु०॥ मृषा दे छे नाम ॥ भ० । ढाल - ६ कंत तमाखू परहरो, ए देशी . सा काजल मेघा भरणी, बेहुं जग मि संवाद । मोरा लाल तिहां मेघो धनराज नै, एक दिन दीघो साद । मोरा लाल सुगजोबात सुहामणी ॥ १॥ श्री प्रतिमा पूजो तुमे भाव आणी निं चित्त । मो० : बार वरस मेघे तेहन, पूजी प्रतिमा नित्य । मो० । एक दिन सुहाँ इम कहै, मेघा सा नै वात मो तुम साथै आवजे, परवारी परभात | मो० || ३ ||०|| वहिल लेजे भावल तरणी, चारण जात छे जेह । मो० | देवारणंद रायका तरणी, दोय वृषभ छै तेह । मो० ॥४॥०॥ वहिल खेड़े तु एकलो, मत लेजे कोई साथ | मो० | बांडा थल भणी हाकजे, मुझ नै राखजे हाथ । मो० ||५||०|| इम मेघा ने प्रीछवी, यक्ष गयो निज ठाम । मो० रवि ऊग्यो मेघो तिहां, करवा मांड्यो काम । मो० ॥ ५ ॥ ० ॥ For Private & Personal Use Only 1 वहिल लीधो भाव तरणी, वृषभ प्राण्या दोय । मो० । जोतरी हिल स्वामी तरणी, जार छँ सब कोय । मो० ॥७॥ ० ॥ तब मेघो ते वहिलनि, खेड़ी चाल्यो जाय । मो० | अनुक्रमे मारग चालतां श्राव्या थलवट मांह । मो०||८||सु०॥ ढाल - ७ श्रमली लाल रंगावो वर ना मोलियां, ए देशी तिहां छोटा नै मोटा थल घरणा, तिहां रूख तो नहीं पार रे । तिहां भूत नै प्रेत व्यंतर घरणा देखी सेठ करै विचार रे । सा मेघो रे मन में चितर्व, कुरण करसँ मोरी सार रे । तब जक्ष प्रावी ने इम कहै, तुम कर फिकर लगार रे || २ || तब हल हाकी नै चालीयो, श्राव्यो ऊभड़ गौड़ीपुर गाम रे । तिहां वाव कुबा सरोवर नहीं, नहीं मोहल मंदिर सुठाम रे || सा० ॥३॥ www.jainelibrary.org

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