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श्री गौड़ी पार्श्वनाथ तीर्थ
तब मेघो कहै सेठजी रे लाल, खरच्या धर्म नै सांमीजी माटै सूपीया रे लाल, पांच से दीधा काजल है तुमे स्यू कर्यु रे लाल, ए पथर कुणं 'काजल भरणी मेघो कहै रे लाल, ए व्यापार अम भाग भ० ते पांच से सर माह रे लाल, तेमां नहीं तुम लाग ॥ भ० ॥७॥सु०॥
काज | ० ||५|| सु०॥
दाम भि०
काम | भ० ॥ ६ ॥ सु०॥
मेघासानी भार्या रे लाल, महीयो नै मेरो ए बे सारिखा रे लाल, बहु सुत रतिप्रति काम सु०॥
मृषा दे छे
नाम ॥ भ० ।
ढाल - ६ कंत तमाखू परहरो, ए देशी
. सा काजल मेघा भरणी, बेहुं जग मि संवाद । मोरा लाल
तिहां मेघो धनराज नै, एक दिन दीघो साद । मोरा लाल सुगजोबात सुहामणी ॥ १॥
श्री प्रतिमा पूजो तुमे भाव आणी निं चित्त । मो० : बार वरस मेघे तेहन, पूजी प्रतिमा नित्य । मो० । एक दिन सुहाँ इम कहै, मेघा सा नै वात मो तुम साथै आवजे, परवारी परभात | मो० || ३ ||०|| वहिल लेजे भावल तरणी, चारण जात छे जेह । मो० | देवारणंद रायका तरणी, दोय वृषभ छै तेह । मो० ॥४॥०॥
वहिल खेड़े तु एकलो, मत लेजे कोई साथ | मो० | बांडा थल भणी हाकजे, मुझ नै राखजे हाथ । मो० ||५||०||
इम मेघा ने प्रीछवी, यक्ष गयो निज ठाम । मो०
रवि ऊग्यो मेघो तिहां, करवा मांड्यो काम । मो० ॥ ५ ॥ ० ॥
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वहिल लीधो भाव तरणी, वृषभ प्राण्या दोय । मो० । जोतरी हिल स्वामी तरणी, जार छँ सब कोय । मो० ॥७॥ ० ॥
तब मेघो ते वहिलनि, खेड़ी चाल्यो जाय । मो० | अनुक्रमे मारग चालतां श्राव्या थलवट मांह । मो०||८||सु०॥ ढाल - ७ श्रमली लाल रंगावो वर ना मोलियां, ए देशी
तिहां छोटा नै मोटा थल घरणा, तिहां रूख तो नहीं पार रे । तिहां भूत नै प्रेत व्यंतर घरणा देखी सेठ करै विचार रे । सा मेघो रे मन में चितर्व, कुरण करसँ मोरी सार रे । तब जक्ष प्रावी ने इम कहै, तुम कर फिकर लगार रे || २ || तब हल हाकी नै चालीयो, श्राव्यो ऊभड़ गौड़ीपुर गाम रे । तिहां वाव कुबा सरोवर नहीं, नहीं मोहल
मंदिर सुठाम रे || सा० ॥३॥
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