Book Title: Gaudi Parshwanath Tirth
Author(s): Bhanvarlal Nahta
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 10
________________ २७२ श्री गौड़ी पाश्र्वनाथ तीर्थ देवन करावु हुँ उली रे लाल, तो नाम रहै निरवार रे ।च०॥२॥सां।। इम चितवी वीवाह नुरे लाल, करै कारिज ततकाल रे ।च०। सांजन नै तेड़ाव नै रे लाल, गोरीमो गावै धमाल रे।च०। सा मेघा भणी नुतरु रे लाल, मोकलै काजल साह रे ।च०। वीवाह उपर पावज्यो रे लाल, अवस करी नै इहांप रे ।च०॥४॥सा।। सांभली मेघो चीतवै रे लाल, किमकरी जइये त्यांह रे ।च०। काम अमारे छै घणु रे लाल, देहरासर नो इहांह रे ।च०॥शासा ।। तब मेघो कहै तेहनै रे लाल, तेड़ो जानो परवार रे ।च०। काम मेली ने किम आवीय रे लाल, जाणो तुमे निरधार रे ।च०॥६।।सा०।। मरघादे नै तेडनै रे लाल, पुत्र कलत्र परवार रे ।च०। मेघा ना सहु साथ ने रे लाल, तेड़ी आव्या तिणवार रे ।च०॥७॥सा०।। कहै काजल मेघो किहां रे लाल, इहां नाव्या सा माट रे ।च०। मेघा विना कहो किम सरै रे लाल, न्यात तणी ए बात रे ।च०॥८॥सा।। ढाल १० नंद सलूणा नंदजी रे लो-ए देशी जक्ष गयोइ मेघा भणी रे लो, हवै ताहरी प्रावी बनी रे लो। काजल आवस्यै तेड़वा रे लो, कूड़ करी तुझ बेडवा रे लो ॥१॥ तु मत जाजे तिहां कणे रे लो, झेर देई तुझ नै हणे रे लो। तेड़े पिण जइसे नहीं रे लो, नमण करी ले इजे सही रे लो ॥२ः। दूध मांहि देस्ये खरू रे लो, नमणु पीधे जास्यै परू रे लो। ते माटे तुझ नै धणु रे लो, मान वचन सोहामणु रे लो ॥३॥ जक्ष गयो कही तेहव रे लो, काजल आव्यो एहवं रे लो। कहै मेघा निसांभलो रे लो, आवी मेलो मन आवलो रे लो ।।४।। तुम पाव्यां बिना किम सरै रे लो,, न्यात में सोभीय किरण परै रे लो। तुम सरीखा आवै सगा रे लो, तो अमनै थायै उमगा रे लो ॥५॥ हूं आव्यो धरती भरी रे लो, तो किम जाऊं पाछो फरी रेल । जो अमनि कांइ लेखवो रे लो, आडो अवलो मत देखवो रे लो ।।६।। हठ लेई बैठा तुम रे लो, खोटी थइयै छै हवे अमे रे लो। सा मेघो मन चीतवै रै लो, अति ताण्यो किम पूरव रे लो ।।७।। काजल साथ चालियो रे लो, भूधेसर माहे प्रावीया रे लो। नमणु विसारयु तिहां कण रे लो, भविस पूरण अखी बण्यी रे लो ।।८।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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