Book Title: Ema Be Vat Che
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 5
________________ 212 ए एटलुं स्पष्ट अने वेधक होय के मने मारी भूल देखाय. फरी मारुं मंथन चाले. वांचन चाले. फरी लखुं ने ए वांचुं त्यारे कहे : 'हवे बराबर छे.' मने त्यारे 'सारुं छे' अने 'बराबर छे.' बच्चेनो भेद समजाय. अभ्यास लेखनकक्षाए पहोंचतां ज हवे मारा नामने अने विषयने नोंधवानो समय पाक्यो. त्यां कोथळामांथी बिलाडुं नीकळ्युं - डॉ. भायाणीने युनिवर्सिटीए भाषाशास्त्रना विषय माटे मान्य कर्या छे, साहित्याना विषय माटे नहीं ! हुं धुंधवायो. निराश थयो. भायाणीसाहेब तो एमनी मजाकभरी रीते हळवाशथी कहे : 'एनो य रस्तो नीकळशे !' परंतु ए पहेलां ज विघ्न आव्युं. मध्यकालीन भाषा साहित्यना एक जाणीता विद्वाने कह्युं : 'मारी पासे जोडाई जाव. हुं तमने मारा मार्गदर्शनना विद्यार्थी 'तरीके रजिस्टर करावी दईश. ' में एमनो आभार मान्यो अने कह्युं के आपनी विद्वता विशे मने मान छे, परंतु जे दृष्टिथी में अभ्यास कर्यो छे, ए भिन्न छे. कथा मात्र साहित्यथी विशेष छे अने साहित्यकीय दृष्टिनो ज विवेचन- रसदर्शन प्रकारनो, प्रवाहदर्शननो अभिगम नथी. आ वखते गुजरात कॉलेजमां मारा हेड ओफ डिपार्टमेन्ट डॉ. बिपिन झवेरी. खूब उमदा सज्जन मारा तरफ पूरा मान- प्रेम. मने कहे: मार्गदर्शन भले डॉ. भायाणीनुं लो. मारा विद्यार्थी तरीके नोंधणी करावो. मने ए स्वीकार्य न हतुं. एक दिवस एक तंदुरस्त बहेन आव्यां. एमनी नोंधणी बिपिनभाईए मारा ज विषयमां करवानुं सूचव्युं में कह्युं : 'तमे जाणो छो के हुं केटला वखतथी आना पर काम करूं छु ने तमे आ बहेनने आ विषय आपो छो ?' ए तो स्थितप्रज्ञ कहे : 'तो तमे ज नोंधाई जाव. ' सांजे भायाणीसाहेबने वात करी तो एमने तो एटली गम्मत पडी के हसता हसता लालचोळ थई गया अने मने कहे : ' कन्या मागामां चेराई गई छे ! हवे क्यांक पाकुं करी लो. नहीं तो कन्याना झंखना ने मागां आवां कंईक खेल पाडशे !' अंते हुं तात्कालिक प्रि हसित बूच पासे सौराष्ट्र युनि. मां नोंधायो. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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