Book Title: Ema Be Vat Che
Author(s): Hasu Yagnik
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 16
________________ 223 मार्गदर्शन. छेल्ली मांदगीए श्रीकुलीनचंद्र याज्ञिक साथे आवेला. में घरमां प्रवेशता ज याज्ञिकसाहेबने कह्यु : 'जईए छीए आपणे तबियत जोवा, पण ए पूछशे 'आपणने खास तो...' खरे ज एमणे पूछ्यु : 'केम चाले छे मेघाणी संस्थान !' पछी फोन आव्यो केसेट लई जवानो. रेडियोना लाईव प्रोग्राम अने रेकोर्ड परथी उतारेली विविध रागनी, उत्तम गायक-वादकोनी ध्वनिमुद्रित केसेट ! दरेकना कार्डझ पण तैयार, कई चीझ, कई गत, चीज, कयो राग... आ मारो वारसो, मारा शेषजीवननी आंतर समृद्धिने वधारनारो. पछी तबियत वधारे कथळती गई. एमने खातरी थई गई. अमारे प्रगट वात ओछी थाय. त्रण दशकाथी पण दीर्घ एवो संबंध एटले वगर बोल्ये पण वात करी लईए, समजी पण लईए. हुं ऊभो थयो त्यारे मंद स्वरे कह्यु : 'उत्पलने कहीश, तमने फोन करशे ने....' - हजु पण मनमां कशंक नवं समानरसनु स्फुरे के कोई शंका जागे तो मन पहोंची जाय छे, बत्रीश-तेंत्रीश वर्षनी टेवथी एमनो संपर्क करवा, जणाववा के जुओ आ टुकडो..... परंतु तरत याद करवू पडे छे. ए भायाणीसाहेब नथी. खरेखर नथी ?- एमां बे वात छे : एक तो... मन समजे एवी, बीजूं हृदय के अंतरात्मा ! Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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