Book Title: Dravyavigyan
Author(s): Vidyutprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 2
________________ आशीः गौरव और आह्लाद का विषय है कि बहिन साध्वी डॉ. विद्युत्प्रभा का शोध प्रबंध जनता को प्रस्तुत हो रहा है। विद्युत्प्रभा की लेखनी समरसता, प्रवाहमयता और प्रस्तुतीकरण की अनूठी क्षमता का पर्याय है। उसने 'द्रव्य' जैसे गूढ़ विषय पर शास्त्रीय मन्तव्यों के साथ अपने चिन्तन को शब्द-स्वर दिया है। इस ग्रन्थ की महत्ता व उपयोगिता स्वयं सिद्ध है। मेरा अन्तःकरण इस ग्रन्थ के प्रकाशन की बेला में प्रमुदित है, इस भरोसे के साथ कि यह ग्रन्थ विद्वज्जनों द्वारा समादरणीय बनेगा। इस अपेक्षा के साथ कि ऐसे ही गूढ़ विषयों पर और भी चिन्तन चलेगा, और कलम बहेगी, साध्वी विद्युत्प्रभा की उज्ज्वल गति-प्रगति के लिए मैं आशीर्वाद देता हूँ। (गणि मणिप्रभसागर) Jain Education International 2010 03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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