Book Title: Dharmopadeshmala prakaranam
Author(s): Jaysinhsuri, Chandanbalashree
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 14
________________ १४ (२) .....णेमिकहासंगेणं दसारहलिकेसवाइयाणं पि । चरियमिणं परिकहियं विमलगुण...(पं. २) (३) ....एत्त समप्पइ एयं तिहुयणगुरुणो अरिटुणेमिस्स । राइमइए तहा णवभवसुहसंगयं चरियं ॥ छ । सिरिवद्धमाणतित्थे पवड्डमाणम्मि जणियजयहरिसे । तियसासुरविज्जाहरणरिंद [देविंद ?]णयचलणो ॥ णामे ण....(पं.३) (४) .....जंबुणामु त्ति सीसो वोच्छिण्णाइं अत्थमि एयाणि ॥ मणपरमोहिपुलाए आहारगखवगउसमे कप्पे । संजमतिअ केवलि सिज्झा[णा]य जंबुम्मि वोच्छिणा ।। तस्स वि पभवायरिओ तस्स वि सेज्जंभवो महासत्तो । संजाओ वर.... (पं.४) (५) ....सीसो परिमुणियतत्तभावत्थो । जो सुअदाणकएणं सेविज्जइ साहुभमरेहिं । तिविहं सामायारिं आयरमाणो तहा पगासेन्तो । अह जखमयहरो त्ति अ सीसो से आसि गुणरासी ॥ तस्स वि तिव्वतव्वाण....(पं.५) (६) .....तेयजंतुणासिअणाणाविहदुरियसंघाओ । आमोसहि विप्पोसहि जल्लोसहि विविहलद्धिसंपण्णो । जिणकप्पियाण चरिअं दुसमाकाले वि पयंडतो ॥ सीसो अहेसि गुणरयणभूसिओ भविअ.....(पं.६) (७) ....सिरिमं जयसिंहसूरिणामेणं । मंदमइणा वि रइयं एवं सिरिणेमिणो चरियं । सिरिणेमिणाहचरिअं काऊण जम्मज्जिअं मए पुण्णं । संपावउ भवि....(पं. ७) दुर्भाग्ये ए पानानो डाबी बाजुएथी लगभग एक तृतीयांश करतां वधारे भाग तुटी गएलो होवाथी, प्रशस्तिगत पाठ खंडित रूपमा ज मेळवी शकायो छे. ए जे छेलं पत्र जोवामां आव्यु छे तेनो पत्रांक २३८नो छे. पत्रनी लंबाई लगभग २६-२७ इंच जेटली होवाथी तेम ज दरेक पृष्ठ उपर ६-७ पंक्तिओ लखेली होवाथी, लगभग बारेक हजार श्लोक = ग्रन्थाग्र जेटलो ए ग्रन्थ मोटो हशे, एम अनुमान करी शकाय छे. उक्त बृहट्टिप्पनिकामां ए चरितनी नोंध लेवामां नथी आवी, तेथी ते सूचीकारने तेणे अवलोकेला कोई पण प्रसिद्ध भंडारमा एनी प्रति उपलब्ध थई नहिं होय. परंतु तपास करतां कोई भंडारमा ए ग्रंथ कदाच मळी पण आवे, तेथी विद्वानोए ए विषे खास लक्ष्य राखवा जेतुं छे. ग्रंथकारना विषयमां, प्रस्तुत ग्रंथनी प्रशस्तिमांथी जे काई परिचयात्मक हकीकत उपलब्ध थाय छे ते विषे, संपादक विद्वाने, पोतानी प्रस्तावनामां, यथायोग्य विवेचन कर्यु छे, तेथी वाचकोने ते विषेनी योग्य माहिती एमांथी मळी रहेशे. mala-t.pm5 2nd proof

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