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प्रस्तावना
पुण्यश्लोकस्व० श्रीमान् बाबू बहादुर सिंहजी सिंघीना स्तुत्य स्मारकस्वरूप सिंघी जैन ग्रन्थमालामा धम्मोवएसमाला (धर्मोपदेशमाला) जेवू प्रशंसनीय प्राचीन प्राकृत ग्रन्थ-रत्न अत्युपयोगी विवरण साथे जे प्रकाशमां आवे छे, एमां 'भारतीय विद्याभवनना सुप्रसिद्ध आचार्य श्रजिनविजयजीी प्रेरणा मुख्य निमित्तभूत छे । आ श्रेष्ठ ग्रन्थ- सम्पादन-कार्य तेओए आजथी लगभग साडाचार वर्षो पहेलां मने सोंपेलुं, ते बीजी बीजी प्रवृत्तियोमांथी अवकाश मेळवीने, प्राचीन प्रतियोना आधारे, आवश्यक पाठान्तरोनी योजना साथे, शक्य परिश्रमथी यथामति संशोधित करेल, आ उत्तम ग्रन्थ, मुद्रणालय आदिनी अनुकूलताए हालमां प्रथम प्रकाशमां आवे छे, ए आनन्द-जनक घटना छ ।
[ग्रन्थनी विशिष्टता]
आजथी एक हजार अने एकसो वर्षों पूर्वे थई गयेला, श्रुतदेवसा परम प्रसादने प्राप्त करनार जयसिंहसूरिजेवा महान् समर्थ धर्मोपदेशक धर्माचार्यना विवरणथी विभूषित थयेलो विद्वत्ताभर्यो आ विशिष्ट ग्रन्थ विद्वज्जनोना चित्तनुं अनेक प्रकारे आकर्षण करशे, एवी अम्हने श्रद्धा छ ।
विविध दृष्टिथी अवलोकन करनारा प्राच्यविद्या-प्रेमीओ आ ग्रन्थना पठन-पाठनपरिशीलनथी परम प्रमोद पामशे, आ एक ज ग्रन्थमांथी विविध विषयो, विज्ञान मेळवी शकशे ।
आ ग्रन्थ, प्राकृतभाषामय होई, प्राकृतभाषाना विशारदोने अने अभ्यासीओने, तथा प्राकृत साहित्यना रसिक पाठकोने प्रबल प्रोत्साहन आपे, ए स्वाभाविक छ ।
प्रशस्त पाठ्य गद्यमय मनोहर प्राकृत ग्रन्थनी गवेषणा करनारने आ ग्रन्थनी प्राप्तिथी अधिक प्रसन्नता थवा सम्भव छ । सुप्रसिद्ध महाकवि बाणभट्टनी कादम्बरी आदिनी संस्कृत गद्यच्छटा जेवी प्राकृत गद्यच्छटा आमां अनेक स्थले जोवा मळशे ।