Book Title: Dharmik Vahivat Vichar
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan

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Page 8
________________ प्र. 6 नयी प्रतिमाओं के निर्माणके बजाय, अपूज पुरानी प्रतिमाजीकी प्रतिष्ठा करना उचित नहीं ? प्र. 7 खतरनाक स्थानोंमें से जिनबिम्बोंका सुरक्षित स्थान पर प्रस्थापन नहीं करना चाहिए ? प्र. 8 'स्वप्नद्रव्यकी आमदनी देवद्रव्यमें ही ली जाय / ' इस बात का शास्त्राधार क्या है ? ... 9 देवद्रव्यसे वेतन लेनेवाले पूजारीके पास श्रमण अपना काम करा सकते हैं ? प्र. 10 पूजारी और मुनीम, जब 'आपखुद' बनते हों तो क्या करें ? प्र. 11 देरासरके भंडारके चावल, बादाम आदि पूजारीको देने ही चाहिए ? . प्र. 12 देरासरजीमें समर्पित फल नैवेद्यका क्या किया जाय ? प्र. 13 देरासरमें समर्पित बादामको बिक्री होनेके बाद, अनजानमें पुनः समर्पित करनेमें दोष लगता है ? प्र. 14 आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो देरासरके केसरादिसे पूजा हो सकती है ? प्र. 15. तीर्थरक्षाके कार्यमें देवद्रव्यकी रकमका उपयोग हो सकता है ? प्र. 16 देरासरमें होनेवाली आभूषणोंकी चोरीके बारेमें क्या करें ? * प्र. 17 गरीबों के लिए देवद्रव्यका उपयोग किया जाय ? प्र. 18 अनीति के धनोपार्जनमें से निर्मित जिनमंदिरो में तेज आ पायेगा ? . प्र. 19 देरासरके निर्माणके लिए साधारणमें से जमीन खरीदी जाय या देवद्रव्यमें से ? प्र. 20 अखंडदीप शास्त्रीय है ? प्र. 21 देवद्रव्यको रकम, दूसरे विभागमें उपयोगमें ली जाने पर कितना व्याज दिया जाय ? प्र. 22 आरतीमें या स्नात्रपूजामें रखी गयी रकम किसे प्राप्त हो ? प्र. 23 घरदेरासरकी प्रतिमाजी अधिकाधिक कितने ईंचकी हो सके ? . 68 प्र. 24 घरदेरासरकी आयमें से घरदेरासरकी सामग्री लायी जा सकती

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