Book Title: Dharmik Vahivat Vichar
Author(s): Chandrashekharvijay
Publisher: Kamal Prakashan

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Page 11
________________ प्र. 61 स्वप्नद्रव्य, उपधानकी माला आदिमेंसे पूजारी को वेतन आदि दिया जाय तो अमुक देवद्रव्यमेंसे दिये जानेवाले वेतनका नुकसान दूर न हो जाय ? . प्र. 62 प्रतिष्ठाका चढ़ावा बोलनेवाला व्यक्ति संघको बिना सूचना दिये, दूसरी जगह जीर्णोद्धारमें रकमका उपयोग कर सकता है ? ... प्र. 63 - संमेलनके देवद्रव्यके प्रस्तावसे, स्वद्रव्यसे जिनपूजा गौण हो जाती है, तो क्या किया जाय ? प्र. 64 द्रव्यसप्ततिका आदिके आधार पर कई लोग, 'स्वद्रव्यसे ही / जिनपूजा हो' ऐसा आग्रह रखते हैं, उसकी स्पष्टता क्या है ? प्र. 65 देवद्रव्य, गुरुद्रव्य आदि विभागोमें अलग अलग प्ररूपणाओंमें उलझन होती है, तो क्या करें ? 66 देवद्रव्यको रकममेंसे पूजाकी सामग्री, पूजारीका वेतन आदि किया जाय ? प्र. 67 'कम वेतन के कारण अपोषणसे पीडित पूजारीको देवद्रव्यमें से वेतन दिया जाय ? प्र. 68 धनका कहाँ उपयोग करनेसे अधिक लाभ होगा ? देरासरमें या जीवदयामें ? . जिनागम (3) प्रश्नोत्तरी प्र. 69 एक ही मंजूषामें ज्ञानपूजन और गुरुपूजनके विभाग हो तो गलती न होगी ? प्र. 70 ज्ञानविभागकी रकम का श्रेष्ठ उपयोग कौनसा है ? प्र. 71 लहिएके अभावमें 'झेरोक्स' आदिसे आगमोंका मुद्रण हो / सकता है ? प्र. 72 जिनागमोंकी रक्षाका ठोस उपाय क्या है ? प्र. 73 ज्ञानविभागकी रकमसे खरीदी गयी किताबें श्रावक पढ़ सकते हैं ? प्र. 74 ज्ञान विभागकी रकममेंसे उपाश्रयके पाट, बैठक, साधुको उपधि आदि रखने के लिए आलमारियाँ लायी जायें ? प्र. 75 अखबार, मेगेजीन, पत्रिकाएँ आदिके निष्कासनके उपाय कौनसे 98

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