Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 8
________________ ८. प्रभु पूजा का और तिलक करने का केसर एक ही हो यह उचित है ? ९. मंदिरजी में चढ़ाने हेतु लाए फुट्स हों तो घर में इस्तेमाल करने में दोष लगता है ? १०. संघ की चल-अचल सम्पत्ति बिना आवश्यकता बाजार-कीमत से कम मूल्य में बेचें तो क्या दोष लगता है ? ११. उपाश्रय-पौषधशाला में होस्पिटल एवं प्रसूतिगृह बना सकते हैं ? १२. उपाश्रय को होस्पिटलादि बनाने हेतु बेचा जा सकता है ? १३. कुमारपाल की आरती आदि की आय कौनसे खाते में जाती है ? १४. श्रेयांसकुमार बनने के चढ़ावे की राशि कौनसे खाते में जाती है ? १५. जीवदया की टीप लिखाने वाले भरपाही देरी से करते हैं तो दोष किसे लगे ? १६. जीवदया की राशि बैंकों में जमा कर के ब्याज से रकम बढ़ाना सही है ? १७. जीवदया के फंड से पीड़ित मानव को मदद कर सकते हैं या नहीं ? १८. जीवदया का चंदा बंद कर के अनुकंपा का चंदा करना जरूरी नहीं है ? १९. फले-चूंदड़ी की बोली की राशि भूकंप राहतादि में खर्च कर सकते हैं ? २०. देवद्रव्य की राशि नूतन जिनमंदिर निर्माण में लगा सकते हैं ? २१. गुरुपूजन की आय (आमदनी) पर किसका अधिकार है ? २२. साधारण का चंदा कम हो तो पुजारी को वेतन देवद्रव्य में से देना सही है ? २३. हिसाब-किताब पेश न हो तो संघ के सदस्य क्या करें ? २४. धर्मद्रव्य की मात्र एफ.डी. ही होती हो तो बोली का पैसा भरना चाहिए या अन्य स्थान पर जमा करें ? २५. धर्म की आय का उपयोग कहां और कैसे करें ? २६. स्नात्र में श्रीफल प्रतिदिन नया रखना जरूरी है ? २७. पूजा के अक्षत, फल, नैवेद्यादिक का बाद में उपयोग कौन करे ? २८. चढ़ाया गया फल-नैवेद्य का बेचान (विक्रय) कैसे करें ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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