Book Title: Dharmdravya ka Sanchalan Kaise kare
Author(s): Dharmdhwaj Parivar
Publisher: Dharmdhwaj Parivar

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Page 7
________________ ४७ ३९. लघुशांतिस्नात्र प्रसंग की बोलियाँ ४०. बृहत् शांतिस्नात्र (अष्टोत्तरी) समय की बोलियाँ ४१. प्रभुजी को १८ अभिषेक करते समय बुलवाई जाती बोलियाँ ४२. गुरुमूर्ति/पादुका को ५ अभिषेक करते समय बुलवाई जाती बोलियाँ ४३. सिद्धचक्र आदि पूजन प्रसंग पर बुलवाई जाती बोलियाँ २. संघ संचालन मार्गदर्शन परिशिष्ट-१ 'द्रव्यसप्ततिका के आधार पर कुछ समझने योग्य तथ्य ४३ परिशिष्ट-२ जिनमंदिर विषयक कुछ कार्य जो संघ के अग्रणियों को करना है। परिशिष्ट-३ धर्मसंस्थाओं के संचालकों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन : परिशिष्ट-४ आरती-मंगलदीपक की थाली में रखे गए द्रव्य के विषय में पेढ़ी के दो पत्र परिशिष्ट-५ आपके प्रश्न - शास्त्रीय उत्तर १. प्रभु की आरती-मंगलदीप में पधराये द्रव्य पर अधिकार किसका ? २. भगवान के समक्ष अष्टमंगल का आलेखन करना या पूजा करनी ? ३. साधु-साध्वी वैयावच्च खाते की रकम में से विहार स्थान बना सकते हैं या. नहीं ? ४. मंदिर में चढ़ी बादामें-श्रीफलादि क्या फिर से चढ़ा सकते हैं ? ५. केसर घिसने एवं प्रक्षाल हेतु पानी-पथ्थर मंदिरजी का उपयोग में लें तो उसमें दोष है ? ६. खास कारण बिना ज्ञानपूजन का द्रव्य देवद्रव्य में डाल सकते हैं ? ७. द्रव्य व्यवस्था के बारे में हमें शंका हो वहाँ पूजा कर सकते हैं ? lain Education International For Personenvate Use Only w.jaingibrary.orge

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