Book Title: Devsur Sangh Samachari
Author(s): Nandighoshsuri
Publisher: Nandighoshsuri

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Page 3
________________ ।। श्री गौतमस्वामिने नमः ।। ।। श्री आदिनाथाय नमः || || नमो नमः श्री गुरुनेमिसूरये ।। श्री बोरीवली श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ, बोरीवली (पश्चिम), मुंबई- 400 092 हस्तक सभी धर्मस्थानक - देरासर, उपाश्रय, आयंबिलशाळा आदि की व्यवस्था वि. सं. 1992 के पूर्व प्रस्थापित श्रीविजयदेवसूरसंघ की सुविशुद्ध शास्त्र व परंपरानुसारी सामाचारी अनुसार ही करने का है और उनके हस्तक सभी स्थान उपाश्रय आदि में आनेवाले सभी साधु-साध्वी को निम्नोक्त नियमों का पालन करना आवश्यक है । उस विरुद्ध जाहिर में और खानगी में आचरणा व प्ररूपणा करना मना है । 3 1. बारह पर्व तिथियों की क्षय वृद्धि करना मना है । 2. श्री विजय देवसूरसंघ सामाचारी में माननेवाले आचार्यों द्वारा संमेलन में किये गये ठराव अनुसार संवत्सरी महापर्व की आराधना करना । 3. नवांगी गुरुपूजन मत कराना । 4. पाक्षिक, चातुर्मासिक व संवत्सरी प्रतिक्रमण के अंत में संतिकरं स्तोत्र का पाठ करना । 5. जन्म संबंधी सुतक में सगोत्र जन्म हो, पत्नी अपने मायके में हो और वहाँ कोई जाता न हो तो 12 दिन प्रभुपूजा मत करना। और साधु-साध्वी को आहार पानी वहोराना मत । सामायिक व प्रतिक्रमण में सूत्र जोर से मत बोलना । सुतकवाली स्त्री को व बालक को स्पर्श करते हो तो 42 दिन प्रभुपूजा आदि मत करना । 6. मरण के सुतक में सगोत्र हो तो 12 दिन, सगोत्र न हो और मृतक का स्पर्श किया हो तो 3 दिन और परंपरित स्पर्श हुआ हो तो 24 घंटे तक पूजा मत करना. सामायिक प्रतिक्रमण में सूत्र जोर से मत बोलना । मृत्यु के बारह दिन बाद ही अंतराय कर्म की पूजा, भावयात्रा, पूजन आदि कराना 7. सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के वख्त देरासर मांगलिक रखना । 8. गुरुपूजन का द्रव्य गुरु वैयावच्च में ले जाना । 9. चातुर्मास में सिद्धाचल - शत्रुंजय की यात्रा मत करना और करने की प्ररूपणा भी मत करना । भवदीय मेनेजिंग ट्रस्टी श्री श्री बोरीवली श्वे. मूर्तिपूजक तपगच्छ जैन संघ श्री आदिनाथ जैन देरासर, मंडपेश्वर रोड, बोरीवली (पश्चिम) बम्बई - 400092

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