Book Title: Devidas Vilas
Author(s): Vidyavati Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

View full book text
Previous | Next

Page 365
________________ शब्दानुक्रमणिका ३३७ अध्रचक्री- तीन खंड का स्वामी (चक्र. अपीत- नाश करना (बुद्धि. ९।२) २६।२) अपूजक- पूजा न करने वाला (तीनमूढ़ अधिराजा-५०० राजाओं का स्वामी १०।१०) ___(चक्र. २४।१) अबद- हृदयंगम करना (पद. ९।९) अधू- अधुना; वर्तमान (विवेक. १४।२) अबेरा- देर; विलम्ब (सप्त. १३) अध्यवसा- पुरुषार्थ, लक्ष्य को प्राप्त करने अबै— अभी (राग. ६।२) की उद्यमशीलता (द्वादश. ३९।१) अभ- अब (पद. २५।३) अनंदना- आनन्दित होना (वीत. ९।२) अभिलाष–अभिलाषा (नमि. ५२) अनछान्यो- अनछना, (मारीच. २१।५) अभै- अभय (पंच. ८।३) अनभौ- अनुभव (पद. ६।७) अभ्रन-आभरण, आभूषण (पद. २१७) अनमोद- आनन्द रहित (मारीच. ८।३) अमना- मन रहित (जीवचतु. २४।१) अनरस- रसरहित (विवेक. २११२) अमलवेत- अमलवैत नामका खट्टारसदार अनाई- अनादि (पुकार. २।१) फल (गागर नीबू, जो औषधि के काम आता अनागत- भविष्य (वीत. २११२) है (शीतल. २९) अनारज-अश्रेष्ठ; जघन्य (पद. ७।५) अमा- अमावश्या (अजित. ४९) अनाहों- स्नान, नहाना (शीतल. ३) अमोल- अमूल्य (दसधा. ३।२) अनुभूति- मूल प्रज्ञा से प्राप्त ज्ञान (पद. अमोलक-अनमोल (शीतल. २४) १०।४) अमृतरश- अमृतरस (परमा. ५।१) अनुराधा- अनुराधा नामका नक्षत्र (चन्द्र. अरक- अर्क; सूर्य (बुद्धि. ४३।३) ५८) अरचन-अर्चना (अनन्त. २२) अनुसरै- अनुसरण करना (वीत. २०१४) अरजी- विनती; प्रार्थना (पुकार. २४।३.) अनौपम- अनुपम (राग. २३।५) अरथ- अर्थ; कारण (धर्म. ४।२) अप्पा-आत्मा (परमा.१) अरलि- अरलि नामका वृक्ष (अभि. ५२) अपरत-असन्तोष (अभि. ९) अराध- आराध्य (परमा. १५।२) अपराजित- अपराजित (राजा का नाम) अरिष्टपुरी- अरिष्टपुरी (नगर) (शीतल. (नमि. २९) अपराजित- अपराजित (विमान) (अरह. अरूझे- उलझना (बुद्धि. १७।२) ४७) अरैल- अड़ना (बुद्धि. ४९।२) अपराजिता- अपराजिता नामकी यक्षिणी अर्ज प्रार्थना करना (पुकार. ४।२) (मुनि. ५०) अर्जिका- आर्यिका (दरसन. १८।३) अपराहनीक- दोपहर सम्बन्धी (अभि. अर्जी- प्रार्थना (पुकार. ३।२) जयमाल. १५) अल्हानी- निश्चित; बचपना (पद. १।४) अपवरग- अपवर्ग; मोक्ष (बुद्धि. २०१६) अलख-अदृश्य, अप्रत्यक्ष (राग. २३।६) ५०) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394