Book Title: Devidas Vilas Author(s): Vidyavati Jain Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan View full book textPage 1
________________ महाकवि देवीदास कृत देवीदास-विलास निमुखऽधनुगतकारजसयौनतेरा॥देवधर्मगुरयं सत्यसाचापंथनमाया।तिमीविन्धनमाय जीवनटकतनही ठिकानामा जनचरित तदेवमहिचानेनिजगुरग्रंथसाजनिन्हि के परसादापय मादिगजोनियजिनध रकेमुडागुन अपुपरजायनजानेमीयुनि-प्राय स्वरूज-सापनीनहीआएपहिचाना जय महजूद हो रिमतिपरगसुई-आतमाध्याचा अपरन-अर हंतपयलषिलमिलीकलगावे आततली रघुगलनवारकैरिलामान स्वरूप-आप दिलमेअलापूर तिघेजानेकरने कैस ओपहसहकीसेवाजाके अवधौरेष्ठहोतनविलये पदारथ का सचदारकास्वरूपातशाहना शाययनपश्रीव्यएतीन्है। विनादारधनाही बागुनपरमाइनिकौलेदसधकरिकीन्ही उल वैधरधर्व भलीलातिगनतीन्ही पिरका कवितुलाई परमठिकानालन अपनोनिसमा गरिकतीनकोरिनना आमलोंब्य निकरियहीनजरिटीजीएडीएकोषकानार गग्रंथनिलपिलीजयहविचारसोरागोषमा मनोहपरिनामनगरौ॥देविधासकहतरेलाईव मफिसानिरवा इतीहितोपदेलाटारसर डॉ. (श्रीमती) विद्यावती जैन श्री गणेश वर्णी दिगम्बर जैन संस्थान वाराणसी laturaternationalPage Navigation
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