Book Title: Devidas Vilas
Author(s): Vidyavati Jain
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
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३४०
देवीदास-विलास
२१४)
४।१)
ऊप- औप, औज (पुकार. ९।१) कलपव्रछ-कल्पवृक्ष (धर्म. ८।२) एरादेवी- एरादेवी (रानी) (शान्ति. ४७) कलमल- कलियुग के पाप (पद. ३।५) जैन- गति, चाल (बुद्धि. ३।३) कलित-सुन्दर (पंच. २।१) औखै- धारण करना (पद. २१॥३) कलेस-क्लेश; दुख (पुकार. ३।३) औतरे- अवतरित होना (पंचवरन. ५।४) कलोल- कल्लोल; आनन्द; क्रीड़ा (पंच.
औसर- अवसर (मारीच. १२।८). कंद- गुफा; कन्दरा (बुद्धि. २॥१) कवडी– कपटी (पद. १३।८) कचियाइ- हिचकिचाना (बुद्धि. ४।३) कवन- कौन (जोग. ४।२) कटा- काटने वाली (बुद्धि. ४९।३) कवित्त- कवित्त नामका छंद (पुकार. २१) कथना-कहना (दरसन. ४।१) कसत- कसना, शुद्धता की जाँच करना कनक-धतूरा (मारीच. १४१७)
(वीत. ४११) कनप– अस्त्र विशेष (चक्र. ४३।१) कसाइल- कसैला (पद. १०।८) कनेवा- दास (पद. २१९)
कसौटी- कसौटी नामका पत्थर (वीत. कपाट-दरवाजा (राग. २२।२) कपि- बन्दर (बुद्धि. ४६।१) कहहलौं- कहाँ तक (बुद्धि. ५०।२) कपित्थ- कैंथाफल (मुनि. २०) काई- काया (पुकार. ८।१) कपोत-कपोत नामकी लेश्या(राग. १११५) कांपिल्य-काम्पिल्य(नगरी)(विमल. ३६) कम्मोदनी- कुमुदनी (धर्म. २५।१) काकन्दी-काकन्दी (नगरी) (पुष्प. ४४) कमच- कवच (चक्र. ३८।२) काकिनी-काकिनी नामका रत्न (चक्र. कमलजुग- कमल-युगल (पंच. १६।६) कमलवन- कमल-समूह (जिनवन्दना. काठ- लकड़ी (वीत. २४।१)
१०।२) कानखजूरा- कनखजूरा (कीड़ा) (जीव कमला- लक्ष्मी (धर्म. ३१२)
चतु. १७।१) कमलापति- कवि देवीदास के छोटे भाई कामानल-कामरूपी अग्नि(बुद्धि. ५२।६)
का नाम (बुद्धि. ५५।१) काल-समय; मृत्यु (चक्र. १७।२) करतूति- करतूत (दरसन. ८।४) कालकूट-विष (बुद्धि. ४४।३) करमद्रुम- कर्म रूपी वृक्ष (आदि. ४०) कालसर्पिणी-अवसर्पिणी एवं उत्सर्पिणी करीलनि- करील वृक्ष से (बुद्धि. ४०।३) काल (जिनांत. २०१२) कर्मकलन्दर- कर्म रूपी मदारी (राग. कालीयक्षिणी- काली नामकी यक्षिणी ७८)
(पुष्प. ६६) कर्वट- वह मुख्य नगर, जिसके अधिकार किंचक-थोड़ा सा (सप्त. ३।२) में २०० से ४०० गाँव हों (चक्र. ३।२) कितेक-कितने ही (महावीर. ६८) कलधौत-सुन्दर, सोना; चाँदी(सुमति. १) किन्नर- किन्नर (यक्ष) (धर्मनाथ. ६५)
२७।१)
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