Book Title: Deshbhushanji Aacharya Abhinandan Granth
Author(s): R C Gupta
Publisher: Deshbhushanji Maharaj Trust

View full book text
Previous | Next

Page 2
________________ वर्तमान ड्रग्स, -1617 दरीबा कलाँ, दिल्ली-110006 Jain Education International Come format e cak For Private & Person use Only हे राष्ट्र-गौरव हे शांतिगिरि के मंगल कलश ! परम दिगम्बर ! सिद्ध पुरुष ! तुमने स्पर्श किया अध्यात्म की ऊंचाई का । प्रकाशमान हो गई संस्कृति लिखा गया आस्था का इतिहास ! हे ऋजु मन के शिखर भावों के महा अर्घ्य से तुम्हें प्रणाम ! हे कालजयी ! राष्ट्र-गौरव ! दिव्य भाषाधिपति ! तुम्हारी वाणी में उद्घाटित हो गए श्रमण संस्कृति के आयाम ! हे अमृत कलशकरुणामूर्ति श्री देशभूषण जी, तुम्हें शत-शत प्रणाम !! सुमत प्रसाद जैन महामंत्री, अभिनन्दन ग्रन्थ समिति www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 1766