Book Title: Dashvaikalika Sutram
Author(s): Haribhadrasuri, 
Publisher: Shripalnagar Jain S M P Trust

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीदशवैकालिक श्रीहारि० वृत्तियुतम् श्रीदशवैकालिकसूत्रस्या -10 0 नुक्रमः ॥ ५ ॥ -0 - 0 १.७७ -0 -0 -0 -0 क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्ति: भाष्यम् पृष्ठः १.६५ सूत्रावयवे प्रतिज्ञादिः। ६६ पञ्चावयव-उपनय निगमने-दशावयवप्रतिपादनञ्च। ९१-९२ - १०० १.६७ दशावयवेषु-प्रतिज्ञाशुद्धिः । १०१ १.६८ हेतोर्विशुद्धिः। ९५ १-२ भ्रमरोदाहरणम्। - ३-४ १.७० अन्या दृष्टान्तवि शुद्धिः । दृष्टान्तविशुद्धावाक्षेपपरिहारौ। - ९८-११६ - आहारग्रहणविधिः। ३ द्रव्यभावविहङ्गम प्रतिपादनम्। - ११७ - १.७४ एकप्रकारेण-भाव विहङ्गमस्वरूपः। - १.७५ भावविहङ्गम 33ww. क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः स्वरूपः। - ११९-१२१ - १.७६ संज्ञासिद्ध्या-भाव विहङ्गमस्वरूपः। - १२२ - २३ - भावविहङ्गमस्वरूपः। उपनयशुद्धिः । ४-५ - १.७९ उपनयशुद्धौ-दोषपरिहारः। १२५-१ निगमनं-तच्छुद्धिश्च। - १३०दशावयवाः। दशावयवेषु प्रथमद्वितीयौ प्रतिज्ञाप्रतिज्ञाविभक्त्यवयवौ। - १३८ - तृतीयचतुर्थी-हेतुहेतुविभक्त्यवयवौ पञ्चमो विपक्षावयवश्च। - १३९-१४० - पञ्चमो विपक्षावयवः। - १४१ - १.८५ दशावयवे पञ्चमषष्ठी or om १.६९ -0 -0 W000 -10 B888800008100800105808080480886880000000000000000 ९६-९७ ॥ ५ ॥ FRIEND For Private and Personal Use Only

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