Book Title: Dashvaikalika Sutram
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Shripalnagar Jain S M P Trust
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श्रीदशवैकालिक श्रीहारिक वृत्तियुतम्
श्रीदशवैकालिकसूत्रस्यानुक्रमः
२.२४
१८२
क्रमः
सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः क्रमः विषय: सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः काष्ठहारोदाहरणं च। ३ - - १४८ ३.५ कथानिक्षेपे मनोनिग्रहविधि: राज
आक्षेपण्यादिपुत्रदासीवणिग्दारक
चतुर्विधधर्मकथा। - १९३-२०५ - कथानकौ च । ४ -
१५० ३.६ मिश्राकथा विकथासंयमस्थैर्योपदेशः
कथादिश्च। - २०६-२१५ - रथनेम्युदाहरणं च। ५-७ -
१५२ ३.७ औद्देशिकादि-त्रिपश्चासंयमस्थैर्योपदेशः
शदनाचीर्णाः। १-१० - - १८५ रथनेमिबोध:-नूपुर३.८ साधुस्वरूपम्। ११-१५ -
१८९ पण्डितोदाहरणम्। ८-११ - - १५४ ॥ चतुर्थमध्ययनं । तृतीयमध्ययनं क्षुल्लिकाचार
षड्जीव- १-१५ कथाख्यम् ॥ १-१५१७८-२१५ - १६०-१९१ निकायाख्यम् ।। गा०१-२८२१६-२३३ ५-६० १९२-२५४ अभिसम्बन्धो
४.१ षड्जीवनिकायः। १ महत्क्षुल्लकाचारकथा
४.२ उपक्रमेऽधिकाराः। - २१६-२१९ - १९२ शब्दानां निक्षेपाः। - १७८-१८० -
४.३ जीवपदस्य व्याख्यापद्याचाराः। - १८१-१८७ -
निक्षेपद्वाराणि। - २२०-२२२ ६-९ ३.३ कथानिक्षेपे अर्थकथा
४.४ जीवस्य लक्षणानि कथानकाव। - १८८-१९१ -
(जीवसिद्धिः)। - २२३-२२४१०-३६ १९७ कथानिक्षेपे
अन्यत्वादिद्वारत्रयम्। - २२५ ३७-४७ २०६ कामकथा। - १९२ -
जीवनित्यत्वसिद्धिः। - २२६ ४८-४९ २१०
१६०
CERIC
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