Book Title: Dashvaikalika Sutram
Author(s): Haribhadrasuri,
Publisher: Shripalnagar Jain S M P Trust
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श्रीदशवैकालिक श्रीहारि० वृत्तियुतम् ॥१०॥
श्रीदशवैकालिकसूत्रस्यानुक्रमः
३१८
।
।
क्रमः विषयः सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः ६.३ धर्मस्य भेदाः। - २४६-२४८ -
अर्थशब्दस्य निक्षेपाः। - २४९-२५१ - धान्यरत्नस्थावराद्यर्थाः।- २५२-२५८ - कामनिक्षेपाः कामस्य भेदाः। - २५९-२६६ - अष्टादशासंयमस्थानानि। ६-१०२६७- २६८ - अहिंसाऽमृषास्थानस्य विधिः।
११-१२ - अदत्तानादान-मैथुनविवर्जनविधिः। १३-१६ । अपरिग्रहविधिः। १७-२१ रात्रिभोजनत्यागविधिः। २२-२५ - कायषट्के पृथिवीकायाप्कायसमारम्भ
वर्जनविधिः । २६-३१ - - ३१३ ६.१३ तेजस्कायसमारम्भ
वर्जनविधिः। ३२-३५ - -
क्रम: विषयः सूत्रम् नियुक्तिः भाष्यम् पृष्ठः ६.१४ वायुकायसमारम्भ
वर्जनविधिः । ३६-३९ - - ३१५ ६.१५ वनस्पति-त्रसकायसमारम्भवर्जनविधिः।४०-४५ -
३१६ ६.१६ अकल्प्यपिण्डः। ४६-४९
३१७ ६.१७ गृहिभाजन-पर्या
दिवर्जनम्। ५०-५५ ६.१८ निषद्यावर्जनम्। ५६-५९
३२० ६.१९ स्नानवर्जनम्। ६०-६३ ६.२० शोभावर्जनम्। ६४-६६ ६.२१ उपसंहारः। ६७-६८
॥ सप्तममध्ययनं वाक्य
शुयाख्यम् ॥ १-५७२६९-२९२ - ३२४-३४९ ७.१ अभिसम्बन्धो
वाक्यनिक्षेपश्च। - २६९ - ३२४ ७.२ द्रव्यभावभाषा। - २७०-२७१ - २४ ७.३ सत्या भाषा। - २७२-२७३
मृषाभाषायाः सत्यामुषाभाषायाः दशप्रकाराः। - २७४-२७५ -
३२१
।
३२२
॥१०॥
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