Book Title: Dandak Prakarana tatha Jambudweep Sangrahani
Author(s): Jinhanssuri, Haribhadrasuri, Gajsarmuni, Chandulal Nanchand Shah
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
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॥ जंबूद्वीप संग्रहणी मूल ॥ नमिय जिणं सव्वन्नु. जगपुज्जं जगगुरु महावीर, जबूद्दीवपयत्थे, वुच्छ सुत्ता सपरहेऊ ॥१॥ खंडा जोयण-वासा, पव्वय-कूडा य तित्व सेढीओ, ८८ १० विजय-दह-सलिलाओ, पिंडेसिं होइ संघयणी ॥२॥ णउअसयं खंडाणं, भरहपमाणेण भाइए लक्खे, अहवा "उअसयगुणं, भरहपमाणं हवह लक्ख ॥३॥ अहवेगखंडं भरहे, दो हिमवंते अ हेमवइ चउरो, अट्ठ महाहिमवते, सोलस खडाई हरिवासे ॥४॥ बत्तीसं पुण निसढे, मिलिया तेसट्टि बीयपासेवि, च उसडी उ विदेहे, तिरासिपिंडे उ णउअसयं ॥५॥ जोयणपरिमाणाई, समचउरसाई' इत्थ खडाई,, लक्खस्स य परिहीए, तप्पायगुणे य हुतेव ॥६॥ विक्खंभवग्गदहगुण-करणी वट्टस्स परिरओ होइ, विवभपायगुणिओ, परिरओ तस्स गणियपयं ॥७॥ परिही तिलक्ख-सोलस-सहस्स दोय सयसत्तवीसहिया, कोसतिगट्ठावीस, धणुसय तेरंगुलद्धहियं ॥८॥ सत्तेव य कोडिसया, गउआ छप्पन सयसहस्साइ, चउणउयं च सहस्सा, सय दिवड्दं च साहिय ॥९॥ गाउयमेगं पनरस-धणूसया तह धणूणि पन्नरस; सट्टि च अगुलाई, जंबूद्दीवस्स गणियपयं ॥१०॥ भरहाइ सत्त वासा, वियडा चउ चउरतिस पट्टियरेः
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