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________________ 3 . ॥ जंबूद्वीप संग्रहणी मूल ॥ नमिय जिणं सव्वन्नु. जगपुज्जं जगगुरु महावीर, जबूद्दीवपयत्थे, वुच्छ सुत्ता सपरहेऊ ॥१॥ खंडा जोयण-वासा, पव्वय-कूडा य तित्व सेढीओ, ८८ १० विजय-दह-सलिलाओ, पिंडेसिं होइ संघयणी ॥२॥ णउअसयं खंडाणं, भरहपमाणेण भाइए लक्खे, अहवा "उअसयगुणं, भरहपमाणं हवह लक्ख ॥३॥ अहवेगखंडं भरहे, दो हिमवंते अ हेमवइ चउरो, अट्ठ महाहिमवते, सोलस खडाई हरिवासे ॥४॥ बत्तीसं पुण निसढे, मिलिया तेसट्टि बीयपासेवि, च उसडी उ विदेहे, तिरासिपिंडे उ णउअसयं ॥५॥ जोयणपरिमाणाई, समचउरसाई' इत्थ खडाई,, लक्खस्स य परिहीए, तप्पायगुणे य हुतेव ॥६॥ विक्खंभवग्गदहगुण-करणी वट्टस्स परिरओ होइ, विवभपायगुणिओ, परिरओ तस्स गणियपयं ॥७॥ परिही तिलक्ख-सोलस-सहस्स दोय सयसत्तवीसहिया, कोसतिगट्ठावीस, धणुसय तेरंगुलद्धहियं ॥८॥ सत्तेव य कोडिसया, गउआ छप्पन सयसहस्साइ, चउणउयं च सहस्सा, सय दिवड्दं च साहिय ॥९॥ गाउयमेगं पनरस-धणूसया तह धणूणि पन्नरस; सट्टि च अगुलाई, जंबूद्दीवस्स गणियपयं ॥१०॥ भरहाइ सत्त वासा, वियडा चउ चउरतिस पट्टियरेः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001119
Book TitleDandak Prakarana tatha Jambudweep Sangrahani
Original Sutra AuthorJinhanssuri, Haribhadrasuri, Gajsarmuni
AuthorChandulal Nanchand Shah
PublisherJain Shreyaskar Mandal Mahesana
Publication Year1997
Total Pages207
LanguageGujarati, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Principle, & Geography
File Size9 MB
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