Book Title: Dandak Prakarana tatha Jambudweep Sangrahani
Author(s): Jinhanssuri, Haribhadrasuri, Gajsarmuni, Chandulal Nanchand Shah
Publisher: Jain Shreyaskar Mandal Mahesana
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बत्तीसाण नईण, चउदससहस्साई पत्ते (य) ॥२३॥ चउदससहस्सगुणिया, अडतीस नइओ विजयमझिल्ला, सीओयाए निवडंति तय सीयाइ एमेव ॥२४॥ सीया सीओयावि य, बत्तीससहस्सपंचलक्खेहि सव्वे चउदसलक्खा, छप्पन्नसहस्स मेलविया ॥२५॥ छज्जोयणे सकोसे, गंगासिंधुण वित्थरो मूले; दसगुणिओ पते, इय दुदु गुणणेण सेसाण ॥२६॥ जोयणसयमुच्चिट्ठा, कणयमया सिहरिचुल्लहिमवंता; हप्पि महाहिमवंता, दुसउच्चा रुप्पकणयमया ॥२७।। चत्तारि जोयणसए उच्चिट्ठो निसढ नीलवतो अ; निसढो तवणिज्जमओ, वेरुलिओ नीलवंतगिरी ॥२८॥ सव्वेवि पव्वयवरा, समयक्खित्तम्मि मंदरविहणा; धरणितले उवगाढा, उस्से हचउत्थभायंमि ॥२९॥ खंडाईगाहाहिं, दसहि दारेहिं जंबुद्दीवस्सः संघयणी सम्मत्ता, रइया हरिभदसूरीहिं ॥३०॥
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