Book Title: Chattrish Bol Sangraha Author(s): Agarchand Bherudan Sethia Publisher: Agarchand Bherudan Sethia View full book textPage 9
________________ ॥अथ शुधि शुधि पत्रकं ॥ (पंक्ति पोलीने कहे जे.) पत्र. शुक. अशक. पंक्ति. पत्र. शुक. अशुध. ६ सिकामें सिघाने १५ संसारसजै संसारख्लै शुए ६ अघोपरो श्राघोपरो १७ १३ ग्रहहीरी गृहस्थरी १३ ६ थणेखणीक अन्नेषणीक १ १५ संख्या ऊपजै संख्याता ऊपजै १ ७ केवलीरूप्पा केवली प्ररूप्या १७ १६ ऊणियन्याहारणं कुणियथाहारणं १७ समकित शंका समकितपर शंका १५ १७ विनय करत विनय करतां १ ए सेवे करें में सेवा करें । १० तीजोगाथापतिरे थाणंदगाथापति | ए बिना न जोवें बिन जोवें १५ १० बकुखब्राह्मणरे बहुल ब्राह्मणरे २ ए राग वह राग स्नेह १७ १० घूजा सरीषा धजा सरीखा १० दीनूंही दोमुंही २५ १ए नही देवें देवे ११ तीर्थकरदवे तीर्थकरदेव ५। २० प्रमुखरय प्रमुखराPage Navigation
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