Book Title: Chattrish Bol Sangraha Author(s): Agarchand Bherudan Sethia Publisher: Agarchand Bherudan Sethia View full book textPage 5
________________ - छे ते जणावधानी जकर नयी. शान्ति अने अहिंसाने प्रसारनारां ने द्रढ करनारा पुस्तकोने उपदेशनी आ जगतने बहु जरूर छे. कां छे के त्यजेद्धमै दयाहीन, वियाहीनं गुरुं त्यजेत् । त्यजेत्क्रोधमुखी भार्या, निस्नेहान्बांधवांस्त्यजेत् ।। (दया विनानो धर्म, ज्ञान विनानो गुरु, क्रोधमुखी भार्या अने स्नेह विनाना वांधवो तजवा.) था पुस्तक सौने उपयोगी याओ एवी महेच्छासहित आवां पुस्तको विना मूल्ये बहेंचवानी इच्छा घराबनार शेठश्रीनो आभार मानी प्रस्तावना पूर्ण करवामां आवे छे. . रा. रा. पोपटलाल केवळचंद् चाहे शास्त्र विरुद्ध कंइ न छपाइ जाय ते जोवानी बनती काळजी राखी बने तेटली सहायता आपी छे, ए मारे अहिं खास जणाचवू जोइए. सी. शेवजी अगरचंदजी नेरुदानजी विकानवासी तरफथी ली. वासामाइ छगनलाल शाह जैन जुकसेलर ठे. कीकामठनी पोळ-अमदावाद. ॥स्वकुलप्रकाश॥ धर्मचंदजी तत्पुत्र प्रतापचंद अगरचंद मेरुदान हजारीमल चिरंजीव जेठमल पानमल लहरचंद उदेकरण जुगराज मैनपाल शेठीया श्रीकल्याणमस्तु ।। पुस्तक मिळणेका ठिकाणा-प्रेयसंग्रहकीके पास. अगरचंदजी नरोदानजी शेठीया. मरोठीयोंकी गवाड-चीकानेर-राजपुताना (मारवाद). कलकचा-१०८ पुराणाचीणावजार (बदायमार). % 3DPage Navigation
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