Book Title: Chandra Pragnaptisutram Author(s): Ghasilal Maharaj Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti View full book textPage 5
________________ संवत् १९७८ में श्री अगरचन्द जी एवं मापने मिलकर समाज में शिक्षा एवं धर्म प्रचार के लिए अगरचन्द भैरोदान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्थाएँ स्थापित को जिसका नवीन ट्रस्टडोड २१ सितम्बर १९४४ ई० को फलकत्ते में (स. २००१ आसोज सुदी ६) कराया गया। संस्था में उस समय भी चल और अचल पांच लाख रुपये की संपत्ति थी। २१. ३. ४६ को व्याख्यन भवन (सेठिया कोठड़ी) एवं ता. २८. ३. ४६ को संस्था को सस्था के कार्यालय बीकानेर में ट्रष्टडोड रजिस्टर्ड कराया । औषधालय, कन्यापाठशाला, छान्नायम्स, पुस्तकालय, का सिद्धान्तगाला आदि विभागों के माध्यम से संस्था समाज को सेवा कर रही है। सं. १९७९ श्रावण वदो १० पन्द्रह वर्ष की उम्रमें आपके पुत्र उदयचन्द' जी का ' मसामयिक निधन हो जाने के कारण आपके मन पर संसार की असारता हा गहरा प्रभाव ' पहा । आपने कलकत्ते का व्यापार समेट लिया और धार्मिक ज्ञान प्रसार ओर लगे । सं. १९९४ में आपने "ज्ञान इफावनी' की रचना को जो सं १९९८ में प्रकाशित हुई । सन्. १९२६ में माप अ. भा. इवे. स्था. जैन काकांस के प्रथम अधिवेशन के सभापति बने । ' बीकानेर नगर और राजा के लिए की गई आपकी सेवाए अविस्मरणीय है:१० वर्ष तक बीकानेर म्युनिसिपल बोर्ड के कमिश्नर रहे । सन् १५२९ में सबसे पहले जनता में से आप ही सर्व सम्मति से बोर्ड के वाइस-प्रेसिरेन्ट चुने गये। सन् १५३१ में राज्य ने आपको ऑनरेरी मजिस्ट्रेट बनाया । दो वर्ष तक आप वेंच ऑफ ऑनरेरी मजिस्ट्रेट्स में कार्य करते रहे | आपके फैसले किये हुए मामलों की प्रायः अपोलें नहीं हुई। सन् १५३८ में म्युनिसिपल बोर्ड की ओर से माप बीकानेर लेनिस्लेटिव एसेबली के सदस्य चुने गये। मई १५४९ में महिला जागृति परिपद् , नीकानेर की स्थापना के समय मुक्तहाथ से दान दिया। सन् १९३० में बीकानेर ऊलन प्रेस खरीदा और ऊल बरिंग फैक्टरी (Wool Burring Factory) खरीदो । यहां की वंधी गठि अमेरिका, लीवरपूल आदि स्थानों को जाती हैं । बिकानेर में ऊनव्यवसाय की प्रगति में ऊन प्रेस का भी हाथ है ।Page Navigation
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